MP News: राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) की गिरफ्त में आए कुख्यात ड्रग्स तस्कर कमल सिंह राणा (Kamal Singh Rana) ने नीमच पुलिस की भी पोल खोल दी है. राजस्थान पुलिस के पत्र के बाद नीमच के 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. पुलिसकर्मी ड्रग्स तस्कर के लिए शातिराना अंदाज में काम कर रहे थे.कमल सिंह राणा पर राजस्थान और मध्य प्रदेश की पुलिस ने 70 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. राजस्थान पुलिस ने उसे महाराष्ट्र के शिर्डी से 19 जून को गिरफ्तार किया था.
कमल सिंह राणा पर कितने केस दर्ज हैं
मध्य प्रदेश और राजस्थान में मादक पदार्थों की तस्करी, मारपीट, लूट और हत्या के प्रयास जैसे 37 अपराधों को अंजाम देने वाले कुख्यात अपराधी कमल सिंह राणा को राजस्थान पुलिस में 19 जून को महाराष्ट्र के शिर्डी से गिरफ्तार किया था. राणा के साथी जितेंद्र, ओमप्रकाश चंद्र और वीरेंद्र भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. राणा पर मध्य प्रदेश पुलिस ने 20 हजार रुपये और राजस्थान पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा था. राजस्थान पुलिस ने रिमांड के दौरान कमल सिंह राणा से कड़ी पूछताछ की. इस दौरान चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. आरोपी कमल सिंह राणा की नीमच पुलिस के 6 कर्मचारी सीधे रूप से मदद कर रहे थे. इस खुलासे के बाद नीमच एसपी ने इन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है. एडिशनल एसपी सुंदर सिंह ने बताया कि पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए लाइन भेज दिया गया है.
ड्रग्स तस्कर के सहयोगी पुलिसकर्मी
नीमच जिले में पदस्थ छह पुलिसकर्मी खाकी वर्दी पहनकर तस्कर कमल सिंह राणा के लिए काम कर रहे थे.इसमें कार्यवाहक प्रधान आरक्षक रघुनाथ सिंह (महिला थाना नीमच), कार्यवाहक प्रधान आरक्षक रामप्रसाद शर्मा (थाना जीरन), कार्यवाहक प्रधान आरक्षक रफीक खान (थाना बघाना), आरक्षक रामप्रसाद पाटीदार (थाना जीरन), आरक्षक अजीज खान (पुलिस लाइन नीमच), आरक्षक देवेंद्र चौहान (पुलिस लाइन नीमच) की संदिग्ध भूमिका थी. प्रथम दृष्टया सभी को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस है गैंग
अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कई तकनीकी साक्ष्यों को जुटाती है, लेकिन प्रतापगढ़ जिले के बाम्बोरी में रहने वाला तस्कर कमल सिंह राणा इन बारीकियों को अच्छी तरह समझ चुका था. इसी के चलते उसने हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए अपना गैंग आपरेट करने और पुलिस से बचने की नई तरकीब निकाली. इस गिरोह के सभी साथी व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए एक दूसरे से चैटिंग और बातचीत करते थे. इसके अलावा पुलिसकर्मी भी उन्हें व्हाट्सएप के जरिए पुलिस के हर एक कदम की जानकारी देते थे.इससे कमल सिंह राणा पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पाता था. राजस्थान पुलिस ने अभी तक इस गैंग के 23 सहयोगियों का पता लगाया है. इन लोगों की गिरफ्तारी का काम जारी है.
मंदसौर-नीमच से तस्करी का गहरा नाता
कमल सिंह राणा को अफीम और डोडा चूरा की तस्करी में महारत हासिल है. उसके एक इशारे पर मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसी भी जिले में मादक पदार्थ पहुंच जाता था. वह तस्करी और अपराधिक वारदातों के लिए चोरी की गाड़ियों का इस्तेमाल करता था.उसका जाल मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच और राजस्थान के प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ तक फैला हुआ था.मंदसौर, नीमच में अफीम और गांजे की खेती होती है.कमल सिंह राणा 2004 से ही तस्करी में लिप्त है. बाद में उसने अपना गैंग बना लिया.
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