MP News: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को डॉक्टर बनने के लिए मिलेगा 5% आरक्षण, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश
MP News: सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि राज्य के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में पांच फीसदी कोटा उन बच्चों को दिया जाएगा, जिन्होंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से हासिल की है.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए खुशखबरी है. सरकार ने उनके लिए एक बहुत बड़ा फैसला लिया है. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मेडिकल एजुकेशन में पांच फीसदी रिजर्वेशन दिया गया है. मध्य प्रदेश के तकनीकी शिक्षा विभाग ने चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम 2018 में बदलाव करते हुए आरक्षण से जुड़ा आदेश बुधवार को जारी किया.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि राज्य के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में पांच फीसदी कोटा उन बच्चों को दिया जाएगा, जिन्होंने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से हासिल की है. प्रदेश के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में शासकीय स्कूलों के बच्चों को 5 फीसदी आरक्षण अगले सत्र से मिलने लगेगा. निर्धारित नियम के मुताबिक शासकीय स्कूल में कक्षा 6वीं से 12वीं तक नियमित अध्ययन कर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले बच्चे 5 फीसदी आरक्षण प्राप्त करने के पात्र होंगे.
दिव्यांग अभ्यर्थियों को 5 फीसदी आरक्षण
इसी तरह शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा पहली से 8वीं तक निजी स्कूल में पढ़ने के बाद शासकीय स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक नियमित अध्ययन कर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र भी आरक्षण कोटा में शामिल होंगे. यह नया प्रावधान तकनीकी शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है, जिसके लिए उसने मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा प्रवेश नियम 2018 में बदलाव किया है. नए बदलावों के अनुसार, अब प्रदेश के मेडिकल कालेजों में महिला अभ्यर्थी को 30 और दिव्यांग अभ्यर्थियों को 5 फीसदी आरक्षण सभी पाठ्यक्रामों में मिलेगा.
वहीं स्वतंत्रता सेनानी और सैनिक केटेगरी के अभ्यर्थियों को केवल शासकीय मेडिकल कालेज में तीन-तीन फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. सरकारी स्कूल के छात्रों को समस्त शासकीय और निजी मेडिकल कालेज में 5 फीसदी आरक्षण एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में मिलेगा.बता दें कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने देश में पहली बार में तय किया है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का मानना है कि इससे किसान तथा गरीब परिवार के बच्चे भी डॉक्टर और इंजीनियर बनकर सपना साकार कर सकेंगे.
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