Protest Against Same Sex Marriage: समलैंगिक शादी को मान्यता देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. समलैंगिक शादी के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने इंदौर प्रदर्शन किया यह प्रदर्शन रीगल तिराहा पर हुआ. वहीं कलेक्टर कार्यालय पर भारी मात्रा सभी समाज की महिलाओं और कुछ संगठनों ने भी प्रदर्शन किया. इन महिलाओं ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा.
एबीवीपी ने किया प्रदर्शन
समलैंगिकता का पूरे देश में विरोध हो रहा है. उसी कड़ी में इंदौर में समलैंगिकता को मान्यता देने के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने इंदौर के रीगल तिराहा पर प्रदर्शन किया.हाथों में तख्तियां लिए हुए विद्यार्थियों ने समलैंगिकता के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.वहीं दूसरी ओर समाज के हर तबके के जनप्रतिनिधि समलैंगिकता के विरोध में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे.वहां इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. इन लोगों ने इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध जताया.
रीगल तिराहे पर प्रदर्शन करने पहुंचे एबीवीपी के छात्र दामिनी बिरथरे और सार्थक जैन ने बताया कि भारतीय संस्कृति में समलैंगिकता को कोई मान्यता नहीं है.दोनों छात्रों ने इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही.वहीं कलेक्टर कार्यालय पर विरोध जताने पहुंची महिलाओं का कहना था कि भारत की सनातन संस्कृति में समलैंगिकता का कोई स्थान नहीं है.उनका कहना था कि इस तरह के कानून से आगामी दूरगामी परिणाम घातक साबित होंगे.इसको लेकर देशभर में पुरजोर विरोध किया जा रहा है.
कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
कलेक्टर कार्यालय पर किए गए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाए भी शामिल हुईं.इन महिलाओं ने कानून का कड़ा विरोध किया. करणी सेना भी इस प्रदर्शन में शामिल हुई और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
इंदौर की प्रसिद्ध मालवी भाभी प्रतीक्षा नय्यर ने मीडिया से कहा कि यह जो भी कानून आ रहा है.इससे सनातन संस्कृति को नुकसान होगा क्योंकि हमारे सनातन संस्कृति में इस तरह के किसी भी विवाह को अनुमति नहीं दी जाती है.क्योंकि हमारा सनातन धर्म में अग्नि देवता के फेरे लिए जाते हैं.इसमें एक युवक और युवती की आवश्यकता होती है, यदि एक ही लिंग के दो लोग फेरा लेंगे तो यह सनातन धर्म के खिलाफ होगा. इससे आने वाले समय में हिंदुत्व और भावी पीढ़ी का नाश होगा. यदि समलैंगिक विवाह होते रहेंगे तो आने वाले समय में संतान के पैदा होने का सवाल ही नहीं उठता है. यह एक षड्यंत्र है, जो भारत के खिलाफ चलाया जा रहा है.
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