Jabalpur News: दुष्कर्म के आरोपी की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने की रद्द, समर्थकों ने शहर में लगवाए थे 'भैय्या इज बैक' के पोस्टर, जानें पूरा मामला
Jabalpur News: हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शुभांग गोंटिया के समर्थकों ने शहर भर में पोस्टर लगाए थे, 'भैय्या इज बैक'. पीड़िता इसी आधार पर आरोपी की जमानत निरस्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी.
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जबलपुर: रेप के आरोपी भारतीय भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के एक नेता को जमानत के बाद 'भैया इज बैक' पोस्टर लगाना महंगा पड़ गया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उसकी जमानत (Bail) निरस्त करते हुए एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा है. इस मामले के आरोपी शुभांग गोंटिया को हाई कोर्ट (High Court) ने जमानत दी थी. इसके बाद उसके समर्थकों ने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद शहर भर में पोस्टर लगाए थे, 'भैय्या इज बैक'. पीड़ित ने इसी आधार पर आरोपी की जमानत निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
एक हफ्ते में करना होगा सरेंडर
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर इस मामले में गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महामंत्री शुभांग गोटिया की जमानत निरस्त करते हुए जेल भेजने को कहा. चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने पीड़िता की याचिका पर यह फैसला सुनाते हुए आरोपी को एक हफ्ते में पुलिस के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया है.
शादी का झांसा देकर प्रेमिका से दुष्कर्म करने वाले आरोपी छात्र नेता शुभांग गोंटिया को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी. इसके बाद उसके समर्थकों ने शहर भर में हॉर्डिंग में 'भैया इज बैक' के पोस्टर लगवाए थे. पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी की जमानत खारिज करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर गहरी नाराजगी करते हुए 20 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
फैसला सुनाते हुए अदालत ने क्या कहा
गुरुवार को सुनाए अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, आरोपी के समर्थकों ने जिस तरह के पोस्टर लगाए, यह आरोपी के प्रभाव को उजागर करते हैं. समाज में इसका पीड़िता और उसके परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. आरोपी को दो महीने बाद जमानत मिली थी, लेकिन पोस्टर लगाना दर्शाता है कि मानो जमानत पर लौटने का जश्न मना रहे हों. इस निर्लज्ज आचरण ने पीड़िता के मन में भय पैदा कर दिया कि यदि वह जमानत पर रहता है तो निष्पक्ष और स्वतंत्र ट्रायल नहीं मिलेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है. पीड़िता के पिता ने जबलपुर एसपी को ज्ञापन भी दिया.इस तरह की हरकत पर आरोपी जमानत की रियायत का हकदार नहीं है. हम उसकी जमानत रद्द कर रहे हैं.
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