Supreme Court Hearing on PSC Exam: मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की 2019 की परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग द्वारा वर्ष 2019 की विशेष परीक्षा की अगली प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है. इसके साथ ही जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एससी, एसटी और ओबीसी के लगभग 2700 मेरिटोरियस अभ्यर्थियों की विशेष परीक्षा कराने के निर्देश दिए थे. हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन और कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका पेश की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि एमपी हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 के विरुद्ध है. एक ही चयन में दो अलग-अलग परीक्षाएं नहीं ली जा सकतीं. याचिकाकर्ताओं की ओर से गौरव अग्रवाल और रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि यदि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों की विशेष परीक्षा कराई जाती है तो जांचकर्ता पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कॉपियां जांचेगा. साथ ही उनकी ओर से यह तर्क भी दिया गया कि विशेष परीक्षा संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है.


वकील ने दी दलील- नियम में विशेष परीक्षा कराने का नहीं है प्रावधान
अधिवक्ता रामेश्वर यादव के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा गया कि मध्य प्रदेश राज्य परीक्षा सेवा नियम 2015 के किसी भी नियम में विशेष परीक्षा कराने का प्रावधान नहीं है. तर्क दिया गया कि एक ही प्रकार की चयन पद्धति में सामान्य वर्ग और आरक्षित वर्ग की अलग-अलग परीक्षाएं कराना संवैधानिक त्रुटि है. सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कोई विशेष आदेश देने की बजाय अगली सुनवाई तक वर्ष 2019 की विशेष परीक्षा की अगली प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया


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