जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कब होंगे? इसकी स्थिति 10 मई को साफ हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में 10 मई को फैसला सुनाने की तारीख तय की है. वैसे यहां बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी केस में दिए फैसले के मुताबिक कुल आरक्षण (Reservation) की सीमा किसी भी स्थिति में 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है. फिलहाल सरकार द्वारा ओबीसी (Other Backward Caste) को 27 फीसदी आरक्षण देने से यह सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो रही है.


पंचायत चुनाव में सरकार ने कितना दिया था आरक्षण


मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय होगा. हालांकि पूर्व में ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण दिया जाता था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई हुई. कोर्ट के सामने राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट रखी. इसमें जनसंख्या के आधार पर आयोग ने ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की है. इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.


माना जा रहा है कि कोर्ट अब 10 मई को फैसला सुना सकता है. फैसले में तय होगा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा या नहीं और अगर दिया भी जाता है तो कितने फीसदी. 


सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा


देश की शीर्ष अदालत ने गुरुवार को साफ कह दिया था कि हम महाराष्ट्र की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी बिना आरक्षण के चुनाव का आदेश दे सकते हैं. कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए जरूरी ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार से मांगी थी. कोर्ट ने मध्य प्रदेश में पिछले लगभग दो साल से 23 हजार पंचायत की सीटें खाली होने पर भी हैरानी जताई है. कोर्ट ने बीते दिन हुई सुनवाई में कहा कि यदि कोर्ट ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होता है, तो ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराए जाएंगे.


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