Teachers Day 2022: सीहोर में बिना ब्रेल लिपि के 150 बच्चों को पढ़ाते हैं नेत्रहीन शिक्षक, 18 किमी दूर से आते हैं स्कूल
जन्म से नेत्रहीन शिक्षक बच्चों को बिना ब्रेल लिपि की मदद से सामाजिक विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं. सिंहपुर प्राथमिक शासकीय स्कूल के छात्र हर साल पांचवीं बोर्ड में 80-90 फीसद तक अंक लाते हैं.
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Teachers Day 2022: देशभर में पांच सितंबर को हर साल शिक्षक दिवस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस आता है. पांच सितंबर का दिन सभी शिक्षकों के लिए खास होता है. शिक्षक दिवस पर देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है. सीहोर जिले के सरकारी स्कूल में तैनात नेत्रहीन शिक्षक की कहानी संघर्ष और बुलंद इरादे की मिसाल है. नसरुल्लागंज के ग्राम सिंहपुर प्राथमिक शासकीय स्कूल में नेत्रहीन शिक्षक हरिओम जैमनी पिछले चार साल से पदस्थ हैं. जन्म से नेत्रहीन शिक्षक बच्चों को शिक्षा की रोशनी दिखा रहे हैं. बच्चों को बिना ब्रेल लिपि की मदद से सामाजिक विज्ञान, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं. सिंहपुर प्राथमिक शासकीय स्कूल के छात्र हर साल पांचवीं बोर्ड में 80-90 फीसद तक अंक लाते हैं.
जन्म से नेत्रहीन शिक्षक बच्चों को दे रहे शिक्षा की रोशनी
जैमनी ने स्कूल का माहौल उत्तम शिक्षा के अनुकूल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. स्कूल आने के बाद बच्चों को नियमित प्रार्थना, व्यायाम, पढ़ाई और बागवानी की शिक्षा दी जाती है. जैमनी के प्रयास से स्कूल सुंदर और आकर्षक नजर आता है. स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षक महेश बताते हैं कि हरिओम जैमनी सर बच्चों को हर विषय बहुत आसानी से पढ़ा लेते हैं और मोबाइल भी चला लेते हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी के लेटर और जन शिक्षा केंद्र से ग्रुप में आई जानकारी को समझ भी लेते हैं. हरिओम जैमनी ने बताया कि शुरुआत से ही घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई ब्लाइंड स्कूल में की. 12वीं की पढ़ाई को एनजीओ की मदद से छात्रावास में रहते हुए भोपाल के सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय से पूरा किया.
जैमनी का शुरू से ही शिक्षक बनने का सपना था. राजनीतिक विज्ञान से एमए पास करने के बाद दिव्यांग कोटे में शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर नौकरी हासिल की. शिक्षक हरिओम के स्कूल में पहली से आठवीं तक करीब डेढ़ सौ से अधिक बच्चे पढ़ते हैं और माध्यमिक में 120 बच्चे हैं.
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18 किलोमीटर का सफर तय कर आते हैं रोजाना स्कूल
स्कूल आने के लिए रोजाना 18 किलोमीटर दूर का सफर बस से तय करते हैं. एक ऑटो चालक बस से उतरने और चढ़ने में मदद करता है. घर पर किसी का सहारा लिए बिना खुद ही काम भी करते हैं. हरिओम जैमिनी आज खुद अंधेरे में हैं लेकिन स्कूली बच्चों के जीवन में उजाला भरने का काम रहे हैं.
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