Madhya Pradesh: बिजली कंपनी पर था 856 करोड़ रुपए का टैक्स, अब ट्रिब्यूनल ने सुनाया यह बड़ा फैसला
Madhya Pradesh News: सेंट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स ट्रिब्यूनल (नई दिल्ली) ने इंदौर की पश्चिम क्षेत्रीय बिजली वितरण कंपनी सहित राज्य की दो अन्य कंपनियों के पक्ष में टैक्स विवाद को लेकर अहम फैसाला सुनाया है
Indore: सेंट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स ट्रिब्यूनल (नई दिल्ली) ने इंदौर की पश्चिम क्षेत्रीय बिजली वितरण कंपनी सहित राज्य की दो अन्य कंपनियों के पक्ष में अहम फैसला सुनाया है. ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि धारा 8 में इस बात का उल्लेख है कि मुख्य सर्विस को जीएसटी से छूट है तो उसकी पूरक या सहायक सेवाओं को टैक्स के दायरे में नहीं रखा जा सकता है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि जब बिजली बिल की राशि को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है तो उसमें जुड़ी अन्य सेवाओं से टैक्स नहीं वसूला जा सकता.
क्या था मामला
दरअसल, तीनों वितरण कंपनियों पर सेवाओं के बदले ली जाने वाली राशि को कमाई बताते हुए टैक्स की देनदारी निकाली गई थी. इन तीनों कंपनियों में से इंदौर की कंपनी पर 215.62 करोड़, भोपाल की कंपनी पर 367.77 करोड़ और जबलपुर की कंपनी पर 187.11 करोड़ रुपये की राशि टैक्स के तौर पर बकाया बताई गई थी. टैक्स, जीएसटी और पेनल्टी के तौर पर कुल मिलाकर 856.12 करोड़ रुपए की देनदारी आंकी गई.
ट्रिब्यूनल ने सुनाया कंपनियों के हक में फैसला
इसके बाद कंपनियों ने अधिवक्ता मनोज मुंशी के जरिए कोर्ट में याचिका पेश की. अपीलेंट कोर्ट ने टैक्स और जुर्माने की राशि को सही ठहराया और तीनों कंपनियों को पैसा चुकाने के आदेश दिये. कंपनियों ने अपीलेंट कोर्ट के फैसले के खिलाफ ट्रिब्यूनल में अपील दायर की, जहां ट्रिब्यूनल ने कंपनियों के हक में फैसला सुनाया.
ट्रिब्यूनल के फैसले से अन्य सेक्टरों को होगा फायदा
बता दें कि नए कनेक्शन, री-कनेक्शन, देरी से बिज जमा करने पर लगने वाली पेनल्टी, दूर से बिजली लाइन घर, फैक्ट्ररी तक आने वाली राशि बिजली कंपनी लेती है. इन सेवाओं के बदले मिलने वाली राशि को जीएसटी के दायरे में लाकर कंपनियों पर बकाया निकाल दिया गया था. कंपनियों के अधिवक्ता ने बताया कि ट्रिब्यूनल के इस फैसले से अन्य सेक्टरों को भी फायदा होगा.
यह भी पढ़ें:
राजस्थान समेत इन राज्यों में चल सकती तेज गर्म हवाएं, बाहर निकलने से पहले जान लें मौसम का हाल