Case Against Digvijaya Singh: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) के खिलाफ इंदौर में मुकदमा दर्ज होने के बाद उज्जैन के अजाक थाने में भी एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के खिलाफ टिप्पणी की थी.


अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना उज्जैन के थाना प्रभारी दिलीप मौर्य ने बताया कि भैरू नाला इलाके में रहने वाले राजकुमार घावरी की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक शिकायती आवेदन प्राप्त हुआ था. राजकुमार घावरी ने बताया था कि वे 30 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं. उन्होंने सोशल मीडिया फेसबुक, टि्वटर आदि पर देखा था कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक सदाशिवराव गोलवरकर के खिलाफ भ्रामक टिप्पणी की है. टिप्पणी में दलित और मुस्लिमों को लेकर आपत्तिजनक बात लिखी हुई थी. यह टिप्पणी पूरी तरह फर्जी थी, इस प्रकार की कोई भी टिप्पणी किताब में प्रकाशित नहीं हुई थी. 


इससे पहले इंदौर में एडवोकेट ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट
इस मामले की जांच की गई तो प्रथम दृष्टया मामला आपराधिक पाया गया. इसके चलते राजकुमार की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 505, 469 और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण अधिनियम की धाराओं में दर्ज कर लिया गया है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को नोटिस जारी किया जाएगा. फरियादी ने पुलिस को यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की टिप्पणी से समाज में वैमनस्यता फैलने के साथ-साथ विवाद की स्थितियां भी निर्मित हो सकती थीं.


इसी के चलते एहतियात के तौर पर उनकी ओर से शिकायत की गई है. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ एडवोकेट राजेश जोशी की ओर से रविवार को इंदौर के तुकोगंज थाने में किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है.


दिग्विजय को 3 से 6 साल तक की सजा हो सकती है
कानून के जानकारों का कहना है कि धारा 469 और 505 के तहत अपराध सिद्ध हो जाने पर 3 से 6 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धाराओं में भी सजा का प्रावधान है. ऐसी स्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई है. एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा के मुताबिक 7 साल से कम सजा वाली अपराध में पुलिस द्वारा नोटिस तामिल कराया जाता है.


ऐसे मामलों में पुलिस की ओर से गिरफ्तारी नहीं की जाकर नोटिस भेजा जाता है. हालांकि इस पूरे मामले में न्यायालय प्रक्रिया के तहत आरोपी को न्यायालय से जमानत कराना होती है.


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