सागर: सफलता सुविधाओं का मोहताज नहीं होती है. लक्ष्य पाने की ललक और मेहनत करने का जुनून हो तो कोई भी परेशानी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती.ऐसी ही तस्वीर मध्य प्रदेश के सागर जिले के बीना कस्बे से सामने आई है. बीना की तीन बेटियों ने सुविधाओं का अभाव होने के बाद टेबिल टेनिस में राष्ट्रीय स्तर पर बीना का नाम रोशन किया. इन दिनों इंदौर में चल रही राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में तीनों खेल रही हैं. 


छह साल की उम्र में थामा  रैकेट


बीना की रहने वाली 10 साल 6 माह की आराध्या वर्तमान में मप्र की अंडर 11 टीम की कप्तान हैं. आराध्या ने टेबिल टेनिस की शुरूआत 6 साल की उम्र से की थी. उसके बाद से अब तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है. चार स्टेट और चार नेशनल खेलने के बाद आज आराध्या मप्र की नंबर-1 खिलाड़ी हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर 9वीं रैंक हासिल की है. 


अंशिका ने खेल चुकी हैं 2 नेशनल


बीना की ही रहने वाली 12 साल की अंशिका मिश्रा मप्र की टॉप-5 खिलाड़ियों में अपना स्थान बना चुकी हैं. उन्होंने 8 साल की उम्र से टेबिल टेनिस खेलना शुरू किया था. अशिंका अभी मप्र की अंडर 13 टीम की प्लेयर हैं और अब तक वो अब तक 3 स्टेट और 2 नेशनल खेल चुकी हैं. 


8 साल की माही ने खेले 3 नेशनल


जिस उम्र में बच्चे चलना फिरना शुरू करते हैं. चाकलेट और खिलौनों के लिए मचलते हैं. उस उम्र में माही ने टेबिल टेनिस की गेंद और बल्ला पकड़ा. बीना नगर की रहने वाली 8 साल की माही राजपूत ने तीन साल पहले यानी केवल 8 साल की उम्र में ही टेबिल टेनिस खेलना शुरू कर दिया था. इन तीन सालों में ही उन्होंने अपने नाम का परचम लहरा दिया. माही अभी अंडर 11 में मप्र की टीम से खेल रहीं हैं. उन्होंने अब तक 3 स्टेट और 3 नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं खेली हैं.  


एक ही गुरु ने दिया प्रशिक्षण


टेबिल टेनिस में बीना का नाम रोशन करने वाली तीनों बेटियों के गुरु अजय सिंह राजपूत हैं. अजय वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण में प्रशिक्षक के पद पर हैं. इसके पहले वे टेबिल टेनिस के नेशनल कोच भी रह चुके हैं. अजय ने बताया कि बीना में सुविधाएं न होने से मैंने तीनों लड़कियों को कोलकाता में प्रशिक्षण दिलाया. आराध्या को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली तक लेकर गया. इससे इन लड़कियों के खेल में निखार आया. 


अजय राजपूत ने बताया कि वह स्वयं बीना के रहने वाले हैं और लंबे समय तक एक नंबर स्कूल में बच्चों को प्रशिक्षण भी दिया है. बीना के बच्चों में प्रतिभा तो है, लेकिन उसके हिसाब से सुविधाओं का अभाव है. इसके साथ ही उन्हें वह माहौल भी बीना में नहीं मिल पा रहा है. यदि बीना में खेल को लेकर सुविधाएं बढ़ाई जाएं तो कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी वहां से निकल सकते हैं.


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