MP News: अगर आपको भी मध्य प्रदेश के शेर (Tiger) देखना है तो जल्दी करिए. जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए आपके पास सिर्फ 6 दिन ही बचे हैं. मध्य प्रदेश के नेशनल पार्क के टाइगर एक जुलाई से तीन महीने की छुट्टी पर चले जायेंगे. 9 महीनों तक देश-विदेश के पर्यटकों को खुश करने वाले मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में 30 जून सैर-सपाटा का अंतिम दिन होगा. मानसून सीजन के लिए नेशनल पार्क तीन माह के लिए बंद कर दिए जाते है.


बता दें कि 1 जुलाई 2024 से एमपी के सभी टाइगर रिज़र्व पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाएंगे.अब जंगल सफारी का मजा 1 अक्टूबर 2024 से मिलेगा. हालांकि,इन तीन महीनों में टाइगर रिज़र्व के बफर इलाके में टूरिज्म एक्टिविटी चलती रहेगी.


तीन महीने के लिए पर्यटकों की आवाजाही पर रोक


मध्य प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, नौरादेही, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा और संजय गांधी टाइगर रिज़र्व दुबरी में 30 जून के बाद अगले तीन महीने के लिए पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लग जाएगी. इस दौरान जंगल सफारी बंद रहेगी.विंटर सीजन में 1 अक्टूबर से पर्यटकों को टाइगर रिज़र्व में फिर से एंट्री मिलेगी.


गौरतलब है कि भारत में 50 साल पहले 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी. शुरुआत में देश में नौ टाइगर रिजर्व थे, इसमें मध्य प्रदेश का भी एक कान्हा रिजर्व शामिल था.आज अकेले मध्य प्रदेश में ही 7 टाइगर रिजर्व हैं.मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हैं.यहां बाघों की संख्या 225 से ज्यादा है. टाइगर देखने के शौकीन पर्यटकों के लिए देश-विदेश मध्य प्रदेश के नेशनल पार्क बेहद पसंदीदा जगह है.


मध्य प्रदेश में हैं ये सात टाइगर रिजर्व


मध्य प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व हैं, जिनमें बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, पेंच, संजय, नौरादेही और सतपुड़ा शामिल हैं. बांधवगढ़ में 31 बाघों की क्षमता है, जबकि बांधवगढ़ में वर्तमान में 225 बाघ हैं. इसी तरह कान्हा में 41 की क्षमता लेकिन 210 के करीब बाघ हैं. पन्ना में 32 की क्षमता है लेकिन यहां 83 बाघ है. इसी तरह पेंच में 24 बाघ की क्षमता के विपरीत 129 बाघ हैं, संजय में 34 की क्षमता और यहां 35 बाघ हैं. इसी तरह सतपुड़ा में 43 बाघों की क्षमता है, जबकि यहां 90 बाघ हैं. कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में 205 बाघ की क्षमता है, जबकि यहां 700 से अधिक बाघ हैं. 


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