MP News: बांधवगढ़ नेशनल पार्क में नवंबर से शुरू होगी टाइगर सफारी, जानें कैसे रखे जाएंगे बाघ
MP News : मध्य प्रदेश के वन मंत्री ने बताया कि हाथियों से हो रहे नुकसान पर दक्षिण भारत के हाथी प्रभावित राज्यों से विशेषज्ञों का दल बुलाकर रिपोर्ट बनवाई गई है, सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है.
MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में अब टाइगर सफारी (Tiger safari) शुरू की जा रही है. यहां बड़े बाड़े में बाघों को रखकर पर्यटकों को उनका दीदार कराया जाएगा. इसके साथ ही जंगल मे प्राकृतिक रूप से टाइगर और अन्य जानवरों को देखने के लिए सैर-सपाटा की पुरानी व्यवस्था भी लागू रहेगी. मध्य प्रदेश के वनमंत्री के मुताबिक बीटीआर में वन्यप्राणियों के बेहतर इलाज के लिए सुविधाजनक अस्पताल बनाया जाएगा.
कहां पर है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
उमरिया जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में मानसून के बाद एक नवंबर से टाइगर सफारी शुरू करने की तैयारी है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे प्रदेश के वनमंत्री विजय शाह ने यह जानकारी मीडिया से साझा की. उन्होंने बताया कि पनपथा बफर क्षेत्र में सौ हैक्टेयर में 14 फीट ऊंची चेनलिंक फेंसिंग का बाड़ा बनाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से पर्यटकों को बाघ दिखाया जाएगा. बाड़े में ऐसे बाघ रखे जाएंगे जो शिकार में असमर्थ हैं या बूढ़े हो गए हैं.
शाह ने बताया कि बीटीआर में वन्यप्राणियों के बेहतर इलाज के लिए सुविधाजनक अस्पताल बनाया जाएगा. हाथियों से हो रहे नुकसान पर उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत के हाथी प्रभावित राज्यों से विशेषज्ञों का दल बुलाकर रिपोर्ट बनवाई गई है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि ऐसी रणनीति बने जिसमें ग्रामीणें के साथ हाथियों को भी नुकसान न हो.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में और क्या खास है
बांधवगढ़ नेशनल पार्क 32 पहाड़ियों से घिरा है और 437 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यहां टाइगर दिखने की संभावना दूसरे पार्कों के मुकाबले कुछ ज्यादा है. इसलिए लगभग हर सीजन में यहां पर्यटकों का जमावड़ा रहता है. वैसे बांधवगढ़ केवल अपने बाघों के लिए ही फेमस नहीं है, यहां सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विरासत का बेजोड़ नमूना भी है. पार्क की सीमा में एक किला है, जहां से किसी जमाने में राजा शासन किया करते थे. इस किले में सात कुंड बने हुए हैं, जो बांधवगढ़ की प्यास बुझाते हैं. कैसा भी मौसम क्यों न हो ये कुंड कभी नहीं सूखते. इसके अलावा, यहां भगवान विष्णु की ऐसी प्रतिमा मौजूद है, जो कम ही देखने को मिलती है. इस प्रतिमा में भगवान विष्णु विश्राम की मुद्रा में हैं. यह प्रतिमा करीब 2 हजार वर्ष पुरानी है.
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