Bhopal News: मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ (Tiger) के हमले में अपने एक शावक को खो चुकी फीमेल टाइगर अपने दो बच्चों के साथ जंगल में लापता है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन उसे लगातार हाथियों की मदद से खोजने में लगा हुआ है. वहीं, शावक को मारने वाला बाघ भी घायल अवस्था में मिला है, जिसका उपचार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि पूरा मामला टेरिटरी फाइट (क्षेत्राधिकार) से जुड़ा हुआ है.
6 अप्रैल को मिला था बाघिन के एक शावक का शव
यहां बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पनपथा बफर के बिरुहली बीट के जुट्टा तालाब के पास 6 अप्रैल को संदिग्ध परिस्थिति में एक नर बाघ शावक का शव मिला था. बाघ शावक की उम्र लगभग तीन माह बताई गई थी. जानकारी लगते ही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारी मौके पर पहुंचे थे और पूरे घटनाक्रम की पड़ताल शुरू की लेकिन उनकी टेंशन उस वक्त बढ़ गई जब हमला करने वाला बाघ और बाघिन लापता हो गए. बाघिन के साथ उसके बचे हुए दो शावक भी जंगल में गायब हैं.
घायल अवस्था में मिला शावक को मारने वाला बाघ
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर लवित भारती ने बताया कि पिछले हफ्ते 6 अप्रैल की सुबह बिरुहली बीट के जुट्टा तालाब के पास नर शावक का शव मिला था. शावक की उम्र लगभग तीन माह थी. एक अन्य बाघ ने उसे मार डाला था. उन्होंने कहा कि सर्चिंग के दौर नर शावक को मौत के घाट उतारने वाला टाइगर घायल अवस्था में मिला है. भारती ने बताया कि पार्क में मौजूद वन्य प्राणी विशेषज्ञों की टीम द्वारा उसका इलाज किया जा रहा है और उसकी स्थिति पहले से बेहतर बताई जा रही है.
'बाघिन और उसके शावकों की कोई खोज-खबर नहीं'
उन्होंने कहा कि अभी तक बाघिन और उसके दो बचे हुए बच्चों की कोई खोज खबर नहीं मिली है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर लवित भारती के मुताबिक तीन हाथियों के साथ पार्क प्रबंधन लगातार इनकी खोजबीन में लगा हुआ है. एक संभावना यह भी है कि शायद इस हमले में बाघिन भी घायल हुई है. यह भी हो सकता है कि वह अपने दोनों बच्चों की सुरक्षा के हिसाब से जंगल में कहीं छिपी हो. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर सर्चिंग अभियान चलाकर बाघिन और उसके दोनों शावकों को खोजने की कोशिश की जा रही है, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
बांधवगढ़ में बढ़ी टाइगरों की संख्या
यहां बता दें कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 150 से ज्यादा टाइगर हैं. इसके अलावा 25 टाइगर सिंगल लोकेशन पर ट्रेस हुए हैं. हो सकता है कि ये भी सर्वाइव कर रहे हों. पार्क में बाघ शावकों की संख्या 30 के आसपास है. पिछले सेंसस की तुलना में बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 70 से 75 टाइगर और बढ़ गए हैं. पार्क प्रबंधन इसे बड़ी उपलब्धि मानकर चल रहा है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर लवित भारती का कहना है कि बेहतर प्राकृतिक रहवास के साथ टाइगर की सुरक्षा के सख्त उपाय ने यह रिजल्ट दिया है.
मध्य प्रदेश में बाघों की मौत के मामले सर्वाधिक
वहीं पूरे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बाघों की रक्षा से जुड़ा एक डरावना आंकड़ा भी सामने आया है. देश में पिछले साल कुल 107 टाइगर की जान गई थी. इसमें सर्वाधिक 32 मौतें मध्य प्रदेश में हुई थीं. हालांकि, साल 2021 के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. 2021 की तुलना में बाघों की मौत में कमी आई है. 2021 में देशभर में 127 टाइगर की जान गई थी, जिसमें से 42 मध्य प्रदेश के थे. टाइगर कंजर्वेशन में कर्नाटक का रिकॉर्ड सबसे बेहतर है. 2018 के सेंसस के मुताबिक कर्नाटक में टाइगर की संख्या 524 है, जो मध्य प्रदेश से सिर्फ 2 ही कम है. साल 2022 में कर्नाटक में सिर्फ 13 ही टाइगर की मौत दर्ज की गई है.
क्या है मौतों की बड़ी वजह
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक छह टाइगर रिजर्व हैं जो कि देश में सबसे ज्यादा हैं. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में 21 टाइगर की मौत इन्हीं टाइगर रिजर्व के अंदर हुई है, जबकि 11 टाइगर रिजर्व के बाहर मारे गए हैं. सर्वाधिक 7 टाइगर की मौत बांधवगढ़ नेशनल पार्क, 6 की पेंच नेशनल पार्क, 4 की कान्हा नेशनल पार्क, दो की संजय नेशनल पार्क डुबरी तथा पन्ना और सतपुड़ा के भीतर 1-1 टाइगर की 2022 में मौत हुई है. कहा जा रहा है कि ज्यादातर मौतों की वजह एक्सीडेंटल या टेरिटोरियल फाइट है.
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