MP News: टीकमगढ़ में 13 साल पहले बरामद हुआ था चिंकारा मीट, हाई कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
MP Chinkara Hunt Case: चिंकारा शिकार मामले में एक व्यक्ति ने कार्रवाई की स्थिति जानने के लिए जब आरटीआई दाखिल की, तो डीएफओ टीकमगढ़ ने उसे अधूरी जानकारी दी. जिसके बाद याची ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 13 साल बाद चिंकारा का शिकार करने और उसके मीट का परिवहन करने के मामले का संज्ञान लिया है. कोर्ट ने इस मामले में 13 साल बीत जाने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ अब तक आपराधिक प्रकरण दर्ज न करने पर वन विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब किया है. इस मामले से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.
दरअसल, टीकमगढ़ निवासी ओम प्रकाश प्रजापति ने एक जनहित याचिका दायर कर बताया कि, 'आबकारी अधिकारियों ने 20 मई 2010 को सफेद बोलेरो गाड़ी से अवैध शराब और चिंकारा का 4 किलो मीट जब्त किया था.' याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष वर्मा ने कोर्ट को बताया कि आबकारी विभाग ने तत्काल मीट को टीकमगढ़ के वन अधिकारियों को सौंप दिया था. अगले दिन डीएफओ ने उक्त मीट की जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेज दिया था. अगस्त 2010 में रिपोर्ट आ गई, जिसमें यह पाया गया कि उक्त मीट चिंकारा का था. इसके बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
आरटीआई की दी गई अधूरी जानकारी
याचिकाकर्ता ने आरटीआई के तहत डीएफओ टीकमगढ़ से उक्त मामले की जानकारी मांगी, लेकिन उसे अधूरी जानकारी दी गई. इसके अलावा आबकारी विभाग से दस्तावेजों सहित पूरी जानकारी लेकर पीसीसीएफ को पत्र भेजकर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.
कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा ये सवाल
इस जनहिता याचिका पर संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने संबंधित अधिकारयों से पूछा है कि इस मामले में अब तक आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यावाही क्यों नहीं की गई? संबंधित अधिकारियों को इस मामले में चार हफ्ते के अंदर कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना है.
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