Ujjain News: स्मार्ट सिटी उज्जैन में अंधविश्वास के चलते जान की बाजी लगाने का सिलसिला सालों से चल रहा है. अंधविश्वास का यह खेल दीपावली के बाद शुरू होता है. उज्जैन से लगभग 75 किलोमीटर दूर ग्राम भिड़ावद में पिछले कई सालों से लोग दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के नाम पर खुद को पशुओं के पैरों से कुचलवाते हैं. यह सब कुछ अंधविश्वास के चलते किया जा रहा है. 


गांव के समीप रहने वाले गोपाल सिंह ने बताया कि लोग अपनी मन्नत रखते हैं और फिर मन्नत पूरी होने पर यह परंपरा निभाई जाती है. इसे गांव गौरी पूजा का नाम दिया गया है. इस संबंध में बड़नगर एसडीएम निधि सिंह (आईएएस) ने बताया कि उन्हें परंपरा निभाई जाने के बाद इस मामले की जानकारी मिली है. परंपरा को लेकर पूरी जानकारी निकाली जा रही है. इसके बाद ही आने वाले समय के लिए अगला कदम उठाया जाएगा.


पशुओं की पूजा से शुरू होती है परंपरा


बड़नगर के रहने वाले जितेंद सिंह बताते हैं कि सबसे पहले पशुओं की पूजा की जाती है. इसके बाद लोग गांव के मुख्य मार्ग पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर से पशुओं को गुजारा जाता है. इसके बाद सभी लोग खड़े होकर जश्न मनाते हैं. यह परंपरा पिछले कई दशक से चल रही है.


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