Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा (MP Assembly Election) के चुनाव की तारीख भले ही अभी घोषित नहीं की गई है लेकिन इसके लिए गवर्नमेंट की मशीनरी एक्टिव मोड में आ गई है. भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य के 21 जिलों के डीएम और डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए गुरुवार (18 मई) को जबलपुर में एक बड़ा ट्रेनिंग प्रोग्राम रखा गया. इस दौरान ईवीएम (EVM) एवं वीवीपेट (VVPET) मशीनों के फर्स्ट लेवल चेकिंग (FLC) के बारे में भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा जानकारी दी गई.
वर्कशॉप में 21 जिलों के कलेक्टर हुए शामिल
राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन की मौजूदगी में जबलपुर के होटल कल्चुरी रेसीडेंसी में EVM एवं VVPET मशीनों की एफएलसी वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ. एक दिन की इस वर्कशॉप में प्रदेश के चार संभागों के 21 जिलों के कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी EVM सुपरवाइजर शामिल हो रहे हैं. वर्कशॉप का शुभारंभ प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर उन्होंने कार्यशाला के आयोजन के उद्देश्य एवं महत्ता पर प्रकाश डाला. वर्कशाप में भारत निर्वाचन आयोग के EVM डायरेक्टर एस सुंदर राजन ने EVM एवं VVPET मशीनों की टेक्निकल और एडमिनिस्ट्रेटिव सिक्योरिटी पर पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन दी. निर्वाचन आयोग के अपर सचिव ओपी साहनी, अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ललित मित्तल एवं सतीश कुमार तथा प्रदेश के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी प्रमोद शुक्ला भी वर्कशॉप में मौजूद रहे.
दिल्ली से आये निर्वाचन आयोग के प्रशिक्षकों द्वारा EVM एवं VVPET मशीनों की एफएलसी वर्कशॉप में हैण्डस-ऑन ट्रेनिंग भी दी गई. एफएलसी वर्कशाप में जिन 21 जिलों के कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी तथा EVM सुपरवाइजर शामिल हुए उनमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, जबलपुर, मण्डला, बालाघाट, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, सागर, टीकमगढ, निवाडी, पन्ना एवं दमोह जिले शामिल हैं.
EVM कैसे काम करता है
यहां बताते चलें कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को दो यूनिटों से तैयार किया जाता है. इन्हें कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट कहा जाता है. इन यूनिटों को केबल से एक-दूसरे से जोड़ा जाता है. ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है. बैलेटिंग यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के भीतर रखा जाता है. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदान अधिकारी आपकी पहचान की पुष्टि कर सके. ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ, मतदान पत्र जारी करने के बजाय, मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबाएगा जिससे मतदाता अपना मत डाल सकता है. मशीन पर अभ्यर्थी के नाम या प्रतीकों अथवा दोनों की एक सूची उपलब्ध होगी जिसके बराबर में नीले बटन होते हैं. मतदाता जिस अभ्यर्थी को वोट देना चाहते हैं, उनके नाम के बराबर में दिए बटन दबा सकते हैं.
VVPET का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ
देश के 2014 के आम चुनाव में एक पायलट परियोजना के रूप में 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में से 8 में वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPET) प्रणाली की शुरुआत की गई थी. VVPET का पहली बार भारत में सितंबर 2013 में नाकसेन (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) में नागालैंड में एक चुनाव में इस्तेमाल किया गया था. VVPET सहित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का 2017 विधानसभा चुनावों में संपूर्ण गोवा राज्य में इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद 2019 के आम चुनाव में सभी 543 लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रों में इसका उपयोग किया गया था.
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