Success Story: भिंड की दो बेटियों ने सिविल जज परीक्षा में मारी बाजी, बताया सफलता का मंत्र
MP News: स्वप्निल वर्मा ने बताया की भिंड में मेधावी छात्र तो बहुत हैं लेकिन माहौल ठीक नहीं है, यहां पर लाइट और ध्वनि प्रदूषण की वजह से काफी परेशानी आती है. इसी वजह से उन्होंने ग्वालियर रहकर तैयारी की.
Bhind News: भिंड को अब अत बंदूक, बीहड़ और बागी के लिए जाना जाता था.वह अब समय के साथ-साथ भिंड भी बदलता जा रहा है.बदनाम भिंड अब शिक्षा के क्षेत्र में भी नए आयाम गढ़ रहा है. इसी कड़ी में एक बेटे सहित भिंड की तीन बेटियों ने सिविल जज परीक्षा पास कर एक बार फिर जिले का नाम रोशन किया है. यह उस भिंड की कहानी है जहां कुछ साल पहले तक बेटियों के पैदा होते ही उन्हें मार दिया जाता था.
दरअसल 18 फरवरी को आए सिविल जज की परीक्षा के रिजल्ट में भिंड के रंजना नगर में रहने वाली स्वप्निल वर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर सुधीर कुमार व्यास की बेटी निहारिका व्यास और अटेर इलाके के रामपुरा गांव के रहने वाले योगेंद्र राजपूत का चयन सिविल जज परीक्षा में हुआ है.
क्या कहना है स्वप्निल वर्मा का
स्वप्निल वर्मा ने बताया की ग्वालियर जीवाजी यूनिवर्सिटी से एलएलबी में गोल्ड मेडल हासिल किया तो उसके बाद एलएलएम की पढ़ाई पूरी कर सिविल जज की तैयारी की, हालांकि कोरोना के चलते फर्स्ट अटेम्प्ट कुछ ही नंबरों से मेंस रह गया था, लेकिन दूसरी बार में उन्होंने सिविल जज परीक्षा पास कर परिवार के साथ साथ जिले का नाम रोशन किया.
उन्होंने बताया की भिंड में मेधावी छात्र तो बहुत हैं लेकिन स्टडी के लिए माहौल बिल्कुल ठीक नहीं है.क्योंकि यहां पर लाइट और ध्वनि प्रदूषण की वजह से काफी परेशानी आती है. इसी वजह से उन्होंने ग्वालियर रहकर तैयारी की ओर सिविल जज परीक्षा में पास की. स्वप्निल वर्मा बताती हैं कि उनकी इस कामयाबी का श्रेय उनको गाइडेंस करने वाले दो शिक्षकों और उनके माता-पिता को जाता है.जिन्होंने कभी भी आर्थिक अभाव को उनके सामने नहीं आने दिया. वो कहती हैं कि ज्यूडिशियल या लॉ बैकग्राउंड का ही स्टूडेंट अच्छा कर सकता है.यह मिथ्या है एक नॉर्मल इंसान भी किसी भी कंपटीशन परीक्षा को फाइट कर सकता है.किसी भी मुकाम को प्राप्त करने के लिए पेशेंस रखने की बहुत आवश्यकता है. पेशेंस रखने वाला व्यक्ति सदैव सफल होता है.
स्वप्निल का साधारण परिवार
स्वप्निल वर्मा के पिता राजेश वर्मा एक साधारण परिवार के मुखिया हैं.उनकी किराने और सीमेंट की दुकान है. उन्हीं से उन्होंने अपनी तीन बेटियों और एक बेटे को पढ़ाया. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का सपना था कि वह इंजीनियर बने लेकिन उनके परिवार की ख्वाहिश थी की बेटी को जज बनाना है.इसलिए उन्होंने उसको मोटिवेट किया. उनकी बेटी भी उनके इरादों पर खरी उतरते हुए उसने सिविल जज की परीक्षा को पास कर पिता के इरादों को साकार कर दिया. स्वप्निल वर्मा की मां एक गृहणी हैं. बेटी के सिविल जज के लिए चयन होने से उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है.उनका कहना है कि बेटी ने उनके परिवार का नाम रोशन कर दिया है.
भिण्ड जिले का बीते कई दशकों तक महिला पुरुष का लिंगनुपात काफी असमान रहा था. भिंड के कई गावों में बेटियों के पैदा होने से पहले और पैदा होने के बाद उन्हें मार दिया जाता था.लेकिन हाल के कुछ बरसों में शिक्षा का स्तर सुधरने और सरकार और निजी संस्थानों द्वारा चलाए गए अवेयरनेस प्रोग्रामों के बाद इस कुरीति पर पूर्ण विराम से लग सका है.
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