Ujjain News: 16 करोड़ के इंजेक्शन बचेगी मासूम की जान, परिवार ने सीएम शिवराज और पीएम मोदी से लगाई गुहार
MP News: उज्जैन में रहने वाले पवन पवार के 20 महीने के बेटे अथर्व के इलाज में 16 करोड़ के इंजेक्शन का खर्च आ रहा है. इसके लिए परिवालों ने शिवराज सरकार और पीएम मोदी से मदद की गुहार लगाई है.
Madhya Pradesh News: दुर्लभ बीमारी से ग्रसित 20 महीने के बालक अथर्व की जान बचाने के लिए उसके परिवार वालों ने मध्य प्रदेश की शिवराज (Shivraj Singh Chouhan) सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से गुहार लगाई है. अथर्व के इलाज में 16 करोड़ के इंजेक्शन का खर्च आ रहा है. इस इंजेक्शन के जरिए अथर्व की जान बचाई जा सकती है. उज्जैन (Ujjain) के तिरुपति धाम कॉलोनी में रहने वाले पवन पवार के घर 20 माह पूर्व अथर्व ने जन्म लिया था. अथर्व की मांसपेशियां काफी कमजोर रहने की वजह से वह ठीक से चल फिर नहीं पा रहा था. इसके अलावा वह खड़ा भी नहीं हो पा रहा था. जब उसकी जांच करवाई गई तो उसे एसएमए-2 ( स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी) नामक बीमारी निकली.
आएगा 16 करोड़ का खर्च
यह बीमारी लाखों बच्चों में एक को होती है. स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी नामक बीमारी काफी गंभीर होने के साथ-साथ इसके इलाज के लिए अमेरिका और जापान में बनाए गए एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन को लगाया जाता है. इसका खर्च 16 करोड़ रुपये आता है. पवन पवार और उनकी पत्नी भावना पवार ने बताया कि चिकित्सकों के मुताबिक 24 महीने की उम्र तक इंजेक्शन को लगाया जा सकता है. अथर्व के पास 4 महीने का समय शेष बचा है. ऐसी स्थिति में सरकार को उनकी मदद करना चाहिए. सरकार की मदद के बिना अथर्व का जीवन नहीं बचा जा सकता है.
कैबिनेट की बैठक के पहले लगाई गुहार
पवन और भावना पवार ने कैबिनेट की बैठक के पहले मीडिया के समक्ष आकर मदद की गुहार लगाई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन में कैबिनेट की बैठक ले रहे हैं. पीड़ित परिवार को उम्मीद है कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से मदद मिल पाएगी. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पीड़ित परिवार ने गुहार लगाई है.
SMA-2 से होने वाली हानि
स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी के कारण बच्चों में सारे शक्ति कम हो जाती है. इसके अलावा उनके मसल कमजोर हो जाते हैं, जिसके कारण वे ठीक से खड़े नहीं हो पाते हैं. इस बीमारी के कारण पाचन क्षमता भी कम हो जाती है, जो कि बच्चों को मौत के मुंह में भी ले जा सकती है. बीमारी दुर्लभ होने के साथ-साथ काफी खतरनाक है. यह शरीर का पोषण भी नहीं होने देती है.