Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी (Maha Ashtami) पर उज्जैन में एक परंपरा विक्रमादित्य के शासनकाल से चली आ रही है. शुक्रवार को परंपरा का निर्वहन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने किया. उन्होंने नगर की सुख-समृद्धि के लिए चौबीस खंबा माता मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की और मदिरा का देवी को भोग लगाया. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि चौबीस खंबा माता मंदिर में पूजा अर्चना कर नगर की खुशहाली के लिए पूजा की. नगर पूजा में पटवारी, तहसीलदार सहित प्रशासन से जुड़े लोग शामिल होते हैं. पूजा का मुख्य उद्देश्य नगर की सुख, शांति, समृद्धि और प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति माना जाता है.


नगर पूजा की तैयारी दो दिन पहले से शुरू कर दी जाती है. कलेक्टर की पूजा के बाद अधिकारियों, कर्मचारियों और कोटवारों का दल 27 किमी की नगर पूजा यात्रा पर निकला. ढोल, ध्वज और मदिरा की धार के साथ नगर यात्रा लगभग 40 से अधिक माता और भैरव मंदिरों में पहुंचेगी. जहां पर भगवान का विशेष पूजन अर्चन भी किया जाएगा. उज्जैन में महाअष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के काल से चली आ रही है.


कलेक्टर ने क्यों लगाया देवी को मदिरा का भोग?


बाद में रियासतों के समय भी पूजा का क्रम चलता रहा. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जिला प्रशासन की ओर से नगर पूजा कराने की परंपरा चल पड़ी. आज उसी  परंपरा का उत्साहपूर्वक निर्वहन कलेक्टर ने किया. बता दें कि धार्मिक नगरी में हर त्योहार अनूठे अंदाज से मनाया जाता है. परंपरा, इतिहास और मान्यताएं उज्जैन को समेटे हुए है. नगर पूजा के पीछे विशेष मान्यता जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने नगर की खुशहाली और सुख समृद्धि के लिए महाअष्टमी पर नगर पूजा की शुरुआत की थी. नवरात्रि के दौरान महाअष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजा होती है. इस दौरान पूरे शहर में मदिरा की धार चढ़ती है.


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