MP Latest News: सरकारी अस्पताल से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में रेफर करना अब चिकित्सकों के लिए मुसीबत बन सकता है. उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने सरकारी अस्पताल से रेफर होने वाले मरीजों पर नजर रखने के आदेश जारी किए हैं. उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा कि जो इलाज सरकारी अस्पताल में हो सकता है, उसके लिए डॉक्टर मरीज को प्राइवेट अस्पताल नहीं भेज सकते हैं. उज्जैन के सरकारी अस्पतालों से बड़ी संख्या में मरीजों को प्राइवेट अस्पताल रेफर किए जाने की शिकायत लगातार सामने आ रही थी.
इसी के चलते उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल मरीज भेजने वाले मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से नजर रखी जाएगी. इसके अलावा अगर आवश्यक हुआ तो चिकित्सकों से स्पष्टीकरण भी लिया जाएगा.
प्रशासनिक अधिकारियों का है पहला प्रयोग
उन्होंने यह भी बताया कि मरीज के परिजनों से भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जानकारी लेकर यह पता लगाया जाएगा कि आखिर प्राइवेट अस्पताल में उन्हें क्यों रेफर किया जा रहा है? प्रशासनिक अधिकारियों का यह पहला प्रयोग है. इससे पहले कभी प्राइवेट अस्पताल में रेफर किए जाने का मुद्दा इस प्रकार से सामने नहीं आया है.
सरकारी अस्पताल से प्राइवेट रेफर करने का गोरखधंधा
उज्जैन जिले के सरकारी अस्पतालों में लगभग 800 रोगी ओपीडी में आते हैं. इनमें से 200 से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है. उज्जैन शहर ही नहीं बल्कि अलग-अलग तहसीलों में भी मरीज को रोज बड़ी संख्या में प्राइवेट अस्पतालों में रेफर किया जाता है. शिकायत यह भी मिलती रही है कि सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में रेफर करवाने में कई बार दलालों की भूमिका भी रहती है. इन दलालों को निजी अस्पतालों से मोटी रकम कमीशन के रूप में मिलती है.
आयुष्मान कार्ड से करोड़ों लोगों का निशुल्क इलाज
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान कार्ड से 5 लाख तक का उपचार निशुल्क होता है. मध्य प्रदेश में 3 करोड़ 96 लाख लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी हो चुके हैं. इसके बाद भी बड़ी संख्या में मरीजों का निजी अस्पताल में इलाज होता आ रहा है. इसी वजह से मध्य प्रदेश में निजी अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
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