MP News: महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों के प्रवेश का रास्ता साफ हो गया है. महाकाल मंदिर समिति ने कुछ नियमों का निर्धारण करते हुए सशर्त अनुमति देने को हरी झंडी दे दी गई है. अब सप्ताह में 4 दिन निर्धारित समय पर गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं का निशुल्क प्रवेश होगा और भक्त पूजा अर्चना कर सकेंगे. इसके अलावा वीआईपी प्रोटोकॉल व्यवस्था में भी राहत पहुंचाते हुए अब 100 रुपए की रसीद बंद कर दी गई है. महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि कोरोना का प्रभाव कम होते ही मंदिर समिति ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. इसी कड़ी में सबसे बड़ा निर्णय साधारण श्रद्धालुओं के लिए लिया गया है.
देशभर से आने वाले भक्त मंगलवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर पूजा अर्चना कर सकेंगे. इसके लिए मंदिर समिति की तरफ से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि पिछले कुछ महीनों से वीआईपी प्रोटोकॉल के जरिए अनुमति हासिल करने वालों से प्रति श्रद्धालु 100 रुपए की रसीद काटी जा रही थी. इस व्यवस्था को भी बदल दिया गया है. अब वीआईपी प्रोटोकॉल का बारीकी से परीक्षण कर नियम अनुसार अनुमति दी जाएगी. लेकिन प्रति श्रद्धालु 100 रुपए की रसीद नहीं काटी जाएगी. वीआईपी प्रोटोकॉल के जरिए श्रद्धालु निशुल्क दर्शन कर सकेंगे. इसके लिए महाकाल मंदिर समिति ने नियम, शर्तें और कोटा निर्धारित किया है.
गर्भगृह में सशुल्क भी दर्शन की रखी गई व्यवस्था
महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर पूजा अर्चना करने की भी सशुल्क व्यवस्था की गई है. इसके तहत प्रतिदिन सुबह 6 से 9 बजे तक और शाम को 6 से 8 के बीच श्रद्धालु 1500 रुपए की रसीद कटवा कर गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं. इस रसीद पर दो लोगों की अनुमति रहेगी. इसके अलावा दोपहर 12 से 1 बजे के बीच भी समान व्यवस्था लागू रहेगी. पूर्व में पंडित-पुजारियों को प्रतिदिन पांच रसीद काटने का कोटा दिया गया था, अब बढ़ाकर दस कर दिया गया है.
भक्तों की भीड़ के अनुसार लिया जाएगा निर्णय
महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ के मुताबिक श्रद्धालुओं की भीड़ के अनुसार गर्भगृह में प्रवेश का निर्णय लिया जाएगा. शनिवार, रविवार और सोमवार को श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ रहती है, इसलिए इन दिनों साधारण श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाना मुश्किल है. इसके अलावा आम दिनों में भी अहम पर्व होने पर परिस्थिति अनुकूल निर्णय लिया जाएगा.
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