Ujjain News: सरकार को 30 करोड़ का राजस्व देने वाली मंडी में किसानों को नहीं मिल रहा पीने का पानी, चारों तरफ अव्यवस्था
ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश में किसानों का वोट बैंक जिधर चला जाता है उस पार्टी को सत्ता हासिल हो जाती है. मगर मंड़ी में आने वाले किसानों को ठंड़ा पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.
उज्जैन में जिस कमाऊ मंडी से सरकार हर साल लगभग 30 करोड रुपेए का राजस्व कमाती है, उस मंडी में किसानों के हाल बेहाल हैं. किसानों को पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. इसके अलावा फसलों के भाव को लेकर भी किसानों की कई शिकायत हैं. ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश में किसानों का वोट बैंक जिधर चला जाता है उस पार्टी को सत्ता हासिल हो जाती है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में किसानों के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां बड़े-बड़े वादे करती हैं. किसानों को कर्जा माफी से लेकर कम ब्याज पर ऋण देने की घोषणा कई बार हो चुकी हैं. इसके अलावा कृषि उपज मंडी में तमाम सुविधाओं के दावे किए जाते हैं, मगर अधिकांश मंडियों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर किसान परेशान हैं.
ठंडे पानी का कोई इंतजाम नहीं
उज्जैन की कृषि उपज मंडी में फसल बेचने आए साबिर खान ने बताया कि पीने के पानी के इंतजाम नहीं हैं. यहां पर कई बार शिकायत हो चुकी है, लेकिन ठंडे पानी का कोई इंतजाम नहीं है. जब नीलामी होती है तो व्यापारियों के लिए एक पानी की केन साथ में चलती है, लेकिन किसानों को पानी के लिए भटकना पड़ता है. कहने को तो मंडी में कई जगह नल और प्याऊ लगाए गई हैं, मगर प्याऊ पर पानी नहीं रहता. जहां पर पानी की उपलब्धता है वहां गर्मी के दिनों में इतना गर्म पानी नसीब होता है जिसे पीना मुश्किल हो जाता है.
गेहूं का भाव 3000 रुपए, मगर बिक रहा 2100-2300
मंडी आए किसान देवेंद्र आंजना ने बताया कि कृषि उपज मंडी में भाव को लेकर भी किसानों की बड़ी समस्या है. यहां पर मोनोपाली के चलते गेहूं की फसल कम दाम में खरीदी जा रही है. किसानों को 3000 रुपए क्विंटल तक गेहूं बिकने की उम्मीद थी मगर 2100 से 2300 रुपए के बीच ही गेहूं खरीदा जा रहा है.
संभाग भर के किसानों का होता है आवागमन
संभागीय मुख्यालय उज्जैन की कृषि मंडी में प्रतिदिन हजारों की संख्या में किसानों का आवागमन होता है. ऐसी स्थिति में किसानों के लिए व्यापक पैमाने पर सुविधाएं जुटाई जानी चाहिए. कृषि मंडी में पार्किंग से लेकर सुरक्षा तक के व्यापक इंतजाम होना चाहिए. इसके ठीक विपरीत किसानों को मंडी में अव्यवस्था के चलते हमेशा परेशान होना पड़ता है.
शहर की अर्थव्यवस्था में मंडी का बड़ा योगदान
कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन करोड़ों रुपए की फसल की खरीदी बिक्री होती है. ऐसी स्थिति में शहर की अर्थव्यवस्था में कृषि उपज मंडी का बड़ा योगदान रहता है. सरकार भले ही मंडी में सुविधा बढ़ाने के लिए कई घोषणाएं कर रही है. प्रदेश में स्मार्ट मंडी के नाम पर योजनाएं भी निकाली जा रही हैं, मगर धरातल पर स्थिति कुछ और है.