Ujjain News: मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के शहर उज्जैन में औद्योगिक विकास के लिए भूमि का अधिकरण किया जाना है. किसान विरोध में उतर गए हैं. उज्जैन में किसानों ने रैली निकालकर विरोध जताया है. किसानों का कहना है कि उनके पास कृषि भूमि के अलावा कोई और रोजगार नहीं है. ऐसे में सरकार को भूमि अधिग्रहण को लेकर रोक लगाना चाहिए.


उज्जैन में औद्योगिक विकास के लिए विक्रम उद्योग पुरी का निर्माण किया गया है, जिसमें सरकार ने 2000 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि का अधिकरण किया था. अब सरकार इसी विक्रम उद्योग पुरी का एक्सटेंशन करने जा रही है जिसमें तीन गांव की लगभग 2000 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहित किया जाना है. इसमें हंसखेड़ी, मूंजाखेड़ी, पिपलोदा द्वारकाधीश और माधोपुर गांव के कुछ क्षेत्रों में कृषि भूमि को अधिग्रहित की जाना है.


 इसका विरोध किसानों ने शुरू कर दिया है. किसान राधेश्याम के मुताबिक उनके पास कृषि के अलावा कोई और व्यवसाय नहीं है. सरकार को अपनी रणनीति बदलने चाहिए. औद्योगिक विकास जरूरी है मगर किसानों के पेट पर लात मार कर उद्योगों को बसाया जाना गलत है.


मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ट्रैक्टर रैली


जिन गांव की भूमि अधिग्रहित किया जाना है, वह उज्जैन जिले की घटिया विधानसभा क्षेत्र के गांव है लेकिन किसानों ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की विधानसभा दक्षिण में बुधवार को रैली निकालकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा. किसानों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर जमीन देने को तैयार नहीं है.


सरकार उचित मुआवजा देने को तैयार


पूर्व में जो जमीन का अधिग्रहण हुआ था उसमें किसी ने विरोध नहीं किया लेकिन अब किसान विरोध पर उतर गए हैं. किसानों का कहना है कि वह जमीन देने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ सरकार उचित मुआवजा देने को तैयार है. सरकार अभी अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया लागू करने वाली है.


विक्रम उद्योगपुरी बनने से बढ़ गई जमीन की कीमत


विक्रम उद्योग पुरी का निर्माण होने से किसानों की जमीन की कीमतें बढ़ गई है, इसलिए वे जमीन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं. बताया जाता है कि विक्रम उद्योग पुरी बनने से पहले तीन से चार लाख रूपए बीघा में जमीन उपलब्ध थी, जिसकी कीमत अब बढ़कर 30 से 40 लख रुपये तक पहुंच गई है. विक्रम उद्योगपुरी के बनने से किसानों की जमीन की कीमत 10 गुना बढ़ गई है, इसलिए भूमि अधिग्रहण का विरोध शुरू हो गया है.