MP News: स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर धोखाधड़ी, मकान के लिए 20 साल बाद किया 'जिंदा', बाबू समेत दो गिरफ्तार
MP News: सरकारी बाबू की मिलीभगत से 20 साल पहले मरे हुए स्वतंत्रता सेनानी को रिश्तेदारों ने 'जिंदा' करवा लिया. जालसाजों ने हाउसिंग स्कीम का फायदा उठाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से साजिश रची.
MP News: मध्य प्रदेश में धोखाधड़ी का अजीबो गरीब मामला सामना आया है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को जीवित बताकर रिश्तेदारों ने भवन का अलॉटमेंट करा लिया. सागर के खुरई निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मौत 20 साल पहले हो गयी थी. फर्जीवाड़ा की 12 साल बाद एफआईआर दर्ज की गई.
इस मामले में उज्जैन विकास प्राधिकरण का बाबू और मृतक का रिश्तेदार गिरफ्तार हुआ है. अभी और भी आरोपियों के पकड़े जाने की उम्मीद है. उज्जैन पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि साल 2023 में विकास प्राधिकरण के माध्यम से एक भवन अलॉटमेंट कराने की शिकायत मिली थी.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर फर्जीवाड़ा
मीसाबंदी भूपेंद्र दलाल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर फर्जीवाड़ा किया था. माधव नगर पुलिस की जांच में मामले की शिकायत सही पाई गई. पुलिस ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के बाबू प्रवीण गहलोत और मृत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुदामा प्रताप अग्रवाल के नाती आशीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया है. अभी इस मामले में और भी आरोपियों के गिरफ्तार होने की संभावना है. दोनों आरोपियों से माधव नगर थाने में कड़ी पूछताछ की जा रही है.
माधव नगर पुलिस के मुताबिक सागर निवासी सुदामा प्रताप अग्रवाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. उन्होंने साल 1981 में दुनिया को अलविदा कहा था. उज्जैन विकास प्राधिकरण ने साल 2012 में भार्गव नगर के लिए योजना निकाली थी. योजना के मुताबिक ईडब्ल्यूएस श्रेणी का एक भवन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को दिया जाना था. सुदामा प्रताप अग्रवाल के नाती आशीष अग्रवाल ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया. उसने प्रवीण गहलोत के साथ सांठगांठ कर 12 लाख रुपये कीमत का मकान ले लिया.
रिश्तेदार ने बाबू के साथ मिलकर रची साजिश
माधव नगर पुलिस ने बताया कि आशीष और प्रवीण ने योजनाबद्ध तरीके से धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम दिया है. आरोपियों ने दस्तावेजों में हेराफेरी की और मकान का भुगतान किसी और से प्राधिकरण को दिलवाया. अभी भुगतान करने वाले व्यक्ति की भूमिका की भी जांच की जा रही है. उज्जैन विकास प्राधिकरण की योजना में भवन हासिल करने के लिए आरोपियों को आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता हुई. उन्होंने उज्जैन के प्रशासनिक कार्यालय से आय प्रमाण पत्र बनवा लिया.
मुख्यमंत्री मोहन यादव भी रह चुके हैं अध्यक्ष
मामले में एक नायाब तहसीलदार की भूमिका की भी जांच की जा रही है. आय प्रमाण पत्र साल 2012 में बनवाया गया था जबकि 1981 में सुदामा प्रताप अग्रवाल की मौत हो चुकी थी. उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव काफी लंबे समय तक रह चुके हैं. अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद धोखाधड़ी की घटना सामने आई है.
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