(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ujjain News: मदिरापान करती है काल भैरव की प्रतिमा, जानें अनूठी आस्था के पीछे की क्या है कहानी?
Ujjain News: भगवान महाकाल के सेनापति काल भैरव का मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है. यहां पर भगवान को मदिरापान कराया जाता है. यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां पर भगवान करते हैं मदिरापान.
Ujjain News: अंधविश्वास और चमत्कार के बीच आस्था एक ऐसा शब्द है जो करोड़ों भक्तों को बाबा काल भैरव के मंदिर की ओर खींच लाता है. बाबा काल भैरव के मदिरापान करने की अपनी अलग कहानी है. लेकिन इस वाम मार्गी मंदिर में दर्शन करने मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है इस बात के लाखों भक्त साक्षी हैं. उज्जैन का यह मंदिर सिंधिया घराने की भी कई मन्नत पूरी कर चुका है.
कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है मंदिर
भगवान महाकाल के सेनापति काल भैरव का मंदिर कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है. यहां पर भगवान को मदिरापान कराया जाता है. यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां पर भगवान मदिरापान करते हैं और आज तक इसका पता कोई भी वैज्ञानिक तक नहीं लगा पाया है. मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी के मुताबिक काल भैरव मंदिर में दर्शन करने मात्र से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यहां पर श्रद्धालु प्रसाद के रूप में मदिरा लाते हैं और भगवान को मंत्रोच्चार के साथ मदिरापान कराया जाता है. वे बताते हैं कि वर्षों पहले यहां पर वैज्ञानिक भी जांच पड़ताल कर चुके हैं मगर खुदाई सहित अन्य यंत्रों की मदद से भी यह पता नहीं लगाया जा सका है कि भगवान द्वारा ग्रहण करने वाली मदिरा कहां जाती है.
यहां पर तांत्रिक क्रियाएं भी काफी सफल मानी जाती है
इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम ने घुटने टेक दिए. यह मंदिर अपने आप में चमत्कार और करोड़ों लोगों की भक्तों की आस्था का केंद्र है. पुजारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी के मुताबिक भगवान महाकाल के दर्शन करने के पहले या बाद में काल भैरव के दर्शन का काफी महत्व है. उनके मुताबिक भगवान काल भैरव को मांस, मदिरा, मच्छी आदि का भोग भी प्राचीन काल में लगाए जाता था. लेकिन जिला प्रशासन द्वारा केवल मदिरापान को लेकर ही अनुमति दी गई है. यहां पर तांत्रिक क्रियाएं भी काफी सफल मानी जाती है इसलिए देश भर के तांत्रिक काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. इसके बाद आसपास के जंगल के इलाके में अपनी क्रियाएं करते हैं.
सीलबंद बोतल की मदिरा का ही लगाया जाता है भोग
पंडित धर्मेंद्र चतुर्वेदी के मुताबिक सील बंद बोतल की मदिरा का ही भगवान को भोग लगाया जाता है. तांत्रिकों द्वारा तरह-तरह की तांत्रिक क्रियाएं कर खुली हुई बोतल से मदिरा के जरिए भगवान को भोग न लग जाए इसके लिए सतर्कता बरती जाती है. मंदिर में आने वाले प्रसाद की बोतल को अच्छी तरह जांचा परखा जाता है. इसके बाद ही भगवान को मंत्रोचार के साथ भोग लगाया जाता है.
सिंधिया घराने द्वारा चढ़ाई जाती है पगड़ी
पंडित श्री चतुर्वेदी बताते हैं कि 400 साल पहले सिंधिया घराने के महादजी सिंधिया युद्ध के दौरान शत्रु राजाओं से पराजय का सामना करने वाला था. उस दौरान सिंधिया घराने की ओर से भगवान काल भैरव के चरणों में पगड़ी रखकर युद्ध में विजय बनाने की मनोकामना मांगी गई थी. उस समय भगवान ने उनकी मनोकामना पूरी की थी. जिसके बाद से आज तक लगातार भैरव अष्टमी पर सिंधिया परिवार की ओर से पगड़ी भगवान को चढ़ाने के लिए सतत आती है.
जो कुछ मांगा वह पाया काल भैरव से
मुंबई से आए रजत सिंह के मुताबिक भगवान काल भैरव की महिमा अपरंपार है. अभी तक जो भी भगवान कालभैरव से मांगा है वह पाया है. भगवान के दरबार में चमत्कार ही चमत्कार देखने को मिले हैं. गुजरात से आई संगीता पटेल के मुताबिक भगवान काल भैरव के दर्शन करने के लिए लगातार 5 सालों से आ रही हैं. उनके दर्शन करने के बाद सही सब कुछ ठीक हो गया है. भगवान काल भैरव ही उनके जीवन का सहारा है. इंदौर से आई अरुणा सिंह के मुताबिक भगवान काल भैरव के भक्तों को केवल दर्शन से ही सब कुछ हासिल हो जाता है.
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