MP News: उज्जैन में होगा इन्वेस्टर समिट, उद्योगपतियों को जमीन, बिजली, पानी समेत सरकार देगी ये सुविधाएं
Ujjain News: आयोजन समिति में शामिल IAS आशीष पाठक ने बताया कि सरकार इस बार फिल्म उद्योग और धार्मिक पर्यटन पर भी पूरी तरह फोकस कर रही है. इससे हजारों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है.
Investor Summit 2024: उज्जैन में आयोजित इन्वेस्टर समिट को लेकर डॉ मोहन यादव सरकार बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली है. जो उद्योगपति उद्योग लगाने की इच्छा व्यक्त करेगा, उसे जमीन, बिजली, पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं तत्काल उपलब्ध करा दी जाएगी. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि दो दर्जन से ज्यादा उद्योग का तत्काल भूमि पूजन हो जाएगा.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर उज्जैन में दो दिवसीय इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जा रहा है उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित आसपास के कई प्रदेशों के उद्योगपति इस इन्वेस्टर समिट में सम्मिलित होने के लिए उज्जैन आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार का उद्देश्य इस बार सीधे उद्योगों को स्थापित करना है. इसी वजह से जमीन से लेकर सभी मूलभूत सुविधाओं के साथ उद्योगपतियों के बीच सरकार अपनी कार्य योजना रखेगी. इसके बाद उद्योगपतियों की ओर से हरी झंडी मिलते ही उद्योग का भूमि पूजन कर दिया जाएगा. कलेक्टर के मुताबिक ऐसी संभावना है कि इस इन्वेस्टर समिट के बाद दो दर्जन से ज्यादा उद्योग कुछ ही समय में स्थापित हो जाएंगे.
धार्मिक पर्यटन और फिल्म उद्योग पर भी फोकस
आयोजन समिति में शामिल आईएएस आशीष पाठक ने बताया कि सरकार इस बार फिल्म उद्योग और धार्मिक पर्यटन पर भी पूरी तरह फोकस कर रही है. धार्मिक पर्यटन और फिल्म उद्योग के जरिए हजारों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. मध्य प्रदेश फिल्म उद्योग को लेकर भी काफी संभावना है. सरकार फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े व्यापारियों को भी इन्वेस्टर समिट में आमंत्रित किया है.
सरकार ने माना- इसलिए बंद हो गए उद्योग
सरकारी इन्वेस्टर सबमिट के पहले ही इस बात को भी स्वीकार कर लिया है कि गलत नीतियों और मशीनों में बदलाव नहीं होने की वजह से पुराने उद्योगों की कमर टूट गई. एक समय था जब धार्मिक राजधानी उज्जैन में सोयाबीन के तेल और कपड़े को लेकर बड़े-बड़े उद्योग थे, जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ था, किंतु नीतियों और पुरानी मशीनों में बदलाव नहीं करने की वजह से उत्पाद महंगा पड़ने लगा और धीरे-धीरे उद्योग बंद हो गए.
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