Madhya Paradesh News: भुट्टे के लड्डू खाने में जितने स्वादिष्ट हैं, इसको बनाने की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है. उज्जैन (Ujjain) जिले में भुट्टे के लड्डू देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फेमस हैं. खास तौर पर उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील में भुट्टे के लड्डू बनाने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद भुट्टे के लड्डू यहां की पहचान बन गई.


विदेशों से होती है फरमाइश
80 साल पहले दोस्तों ने शर्त लगाई कि कोई भी हलवाई भुट्टे की मिठाई नहीं बना सकता है. इस शर्त को उज्जैन जिले के बड़नगर में रहने वाले केसरीमल हलवाई ने चुनौती मानकर भुट्टे का लड्डू बनाने की बात दोस्तों के बीच रखी. दोस्तों ने भुट्टे के लड्डू का नाम सुनकर पहले तो आश्चर्य जताया फिर लड्डू तैयार करने का सिलसिला शुरू हुआ. दुकान के संचालक श्याम शर्मा ने बताया कि उनकी दुकान 103 साल पुरानी है. भुट्टे के लड्डू की शुरुआत 80 साल पहले इसी दुकान से हुई थी. उन्होंने बताया कि उनके दादाजी केसरीमल हलवाई ने दोस्तों के साथ शर्त लगाई थी. इसके बाद भुट्टे के लड्डू बनाने की शुरुआत हुई. उज्जैन संभाग से ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले लोग यहां के भुट्टे के लड्डू की फरमाइश करते हैं. उनकी दुकान के लड्डू विदेश तक भेजे जाते हैं. 


साल भर में 7 महीने मिलते हैं लड्डू
दुकान संचालक श्याम शर्मा के मुताबिक एक जुलाई से लेकर 30 नवंबर तक लड्डू दुकान पर उपलब्ध रहते हैं. 30 जून के पहले लड्डू बनाने का सिलसिला शुरू नहीं होता है. इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जब भुट्टों का सीजन रहता है, उसी समय लड्डू तैयार किए जाते हैं. भुट्टे के लड्डू में 50% भुट्टे की क्वांटिटी रहती है. यह लड्डू 360 रुपये से 400 रुपये किलो तक बेचा जाता है. 


इसका फॉर्मूला किसी के पास नहीं
श्याम शर्मा के मुताबिक एक विशेष प्रकार की विधि से भुट्टे के लड्डू तैयार किए जाते हैं. उन्हें यह विधि उनके दादा केसरीमल हलवाई से मिली है. अभी उज्जैन जिले में कुछ स्थानों पर भुट्टे के लड्डू बनाने की शुरुआत जरूर हुई है, मगर आज भी बड़नगर के भुट्टे के लड्डू का कोई तोड़ नहीं है. 


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