MP News: मध्य प्रदेश के उज्जैन में मेडिकल कॉलेज के निर्माण में अभी तीन साल का वक्त लगेगा, ऐसे में पुराने अस्पताल के 250 बेड को चरक भवन में शिफ्ट कर दिया गया है. इन बेड को शिफ्ट करने से क्राउड मैनेजमेंट करने के साथ साथ मरीजों के इलाज में दिक्कतें आ रही हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या 3 साल तक उज्जैन में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा? 


नया मेडिकल कॉलेज बनने से हो रही है दिक्कत


धार्मिक नगरी उज्जैन में मेडिकल कॉलेज और प्रदेश की पहली मेडीसिटी बनने जा रही है. इसी के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव निर्माण कार्य से पहले भूमि पूजन भी करने वाले हैं. इन्हीं सबके बीच मेडिकल स्टाफ के साथ मरीज और उनके घरवालों को दिक्कते आ रही है. दरअसल उज्जैन में माधवराव सिंधिया चिकित्सालय की पुराने भवन को तोड़कर मेडिकल कॉलेज बनने जा रहा है. इसके अलावा कैंसर यूनिट को भी तोड़ दिया गया है. सभी 250 बेड अब चरक अस्पताल में शिफ्ट कर दिए गए हैं. चरक भवन अस्पताल साल 2016 से पहले बनकर तैयार हुआ था.


यह अस्पताल 450 बेड क्षमता वाला है. इसे अब बढ़ाकर 700 बेड क्षमता वाला कर दिया गया है. अस्पताल के चिकित्सक संजय राणा ने कहा कि बेड को शिफ्ट करने में थोड़ी दिक्कतों का सामना तो करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे सब सुचारू रूप से चलने लगेगा. चिकित्सकीय स्टाफ का कहना है कि 1 साल में नया अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा तब तक थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं अस्पताल में भर्ती राधेश्याम के परिवार की महिला सुशीला बाई ने कहा कि अभी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऊपर नीचे जाने के लिए लिफ्ट भी उपलब्ध नहीं है. अस्पताल में बेड को लेकर काफी मारामारी भी है.  


जेल वार्ड भी बना समस्या का कारण
माधवराव सिंधिया अस्पताल के पुराने भवन को तोड़ने के कारण चरक भवन अस्पताल में सभी बेड शिफ्ट हो चुके हैं. चरक भवन की चौथी मंजिल पर जेल वार्ड भी बना दिया गया है, हालांकि अभी जेल वार्ड में आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाना बाकी है. इसके अलावा पोस्टमार्टम रूम भी अभी शिफ्ट नहीं हो पाया है. 


महिलाओं के लिए बनाया गया था अस्पताल
चरक भवन अस्पताल को महिलाओं के लिए बनाया गया था. यहां पर गर्भवती महिलाओं को भर्ती किया जाता है. इसके साथ ही शिशु वार्ड भी बनाया गया था यहां पर प्रसव भी कराए जाते थे. अब महिलाओं के लिए 6 मंजिला अस्पताल में एक मंजिल आरक्षित कर दिया गया है. बाकी मंजिलों पर अलग-अलग वार्ड को संचालित किया जा रहा है. 


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