Janmastami News: भले ही इंसान हो या फिर भगवान शिक्षा सभी के लिए जरूरी है. भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद 11 वर्ष की उम्र में 64 दिनों में गुरु सांदीपनि से उज्जैन में वेदों, पुराणों और शास्त्रों का ज्ञान हासिल किया था. इसी शिक्षा का प्रदर्शन भगवान श्री कृष्ण के पूरे जीवन देखने को मिलता है. उज्जैन के मंगलनाथ इलाके में स्थित सांदीपनि आश्रम का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है. यहां पर देश भर में सबसे पहले जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.
कंस वध के बाद सांदीपनि आश्रम में किया प्रवेश
गुरु सांदीपनि के वंशज रूपम व्यास बताते हैं कि, भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद 11 वर्ष 7 दिन की उम्र में गुरु सांदीपनि आश्रम में प्रवेश किया था. 5266 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिनों का समय गुरू सांदीपनि की देखरेख में बिताया. इस दौरान कृष्ण की सुदामा से मित्रता भी हुई थी. यहां पर कृष्ण, बलराम और सुदामा जंगल में साथ रहकर वक्त बिताया करते थे.
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यहां है भगवान श्रीकृष्ण की बैठी हुई दुर्लभ प्रतिमा
गुरु सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण की बैठी हुई दुर्लभ प्रतिमा है, जबकि देश भर के मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी बजाते हुए खड़ी मुद्रा में प्रतिमा देखने को मिलती है. यहां पर दर्शन करने के लिए देशभर के श्रद्धालु आते हैं. खासतौर पर जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है.
हासिल किया 64 दिनों में 64 विद्या, 16 कला का ज्ञान
आश्रम के पुजारी रूपम व्यास के मुताबिक, भगवान श्री कृष्ण ने आश्रम में 64 दिनों का जो समय बिताया था, उस दौरान उन्होंने 4 दिनों में चार वेदों का ज्ञान हासिल कर लिया था. इसके अलावा छह शास्त्रों का ज्ञान 6 दिन में हासिल करने के बाद उन्होंने 16 दिन में 16 कलाएं सीख ली. इसके बाद 18 पुराण का ज्ञान 18 दिनों में हासिल करने के पश्चात 20 दिन में गीता का ज्ञान लेकर गुरु दक्षिणा देकर भगवान श्री कृष्ण मथुरा की ओर रवाना हो गए. जब भगवान श्रीकृष्ण उज्जैन आए थे तो वृंदावन से सीधे उज्जैन पहुंचे थे. कुल मिलाकर यह कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिनों में 64 विद्या और 16 कला का ज्ञान गुरु सांदीपनि से हासिल किया था.