Mahakal Mandir Darshan Niyam: हाल ही में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन ने फैसला लिया कि महाकाल बाबा के निशुल्क शीघ्र दर्शन का लाभ लेने वालों में कुछ ही लोग शामिल होंगे. इनमें राज्य स्तरीय अधिमान्य, पत्रकार, उज्जैन प्रेस क्लब के सदस्य, साधु-संत, महंत-महामंडलेश्वर और गजट में वर्णित गणमान्य लोग शामिल होंगे. पहले अधिकारियों और उनके परिवार को भी फ्री दर्शन की सुविधा थी, जो कि अब हटा दी गई है.


बड़ी बात यह है कि जिस आईएएस अफसर की अगुवाई में प्रबंध समिति ने शुल्क वसूलने का निर्णय लिया, उन्हीं के माता-पिता को भी टिकट लेकर दर्शन करने पड़े. जब माता-पिता दर्शन करने के लिए महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, तो उन्हें 500 रुपये की रसीद कटवानी पड़ी. इस बात की चर्चा केवल महाकालेश्वर मंदिर ही नहीं, बल्कि पूरे उज्जैन शहर में हो रही है.


निर्णय का हो रहा अक्षरश: पालन
दरअसल, फैसले के तहत गिने-चुने लोगों के अलावा बाकी सबको किसी भी प्रोटोकॉल के तहत निशुल्क शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ नहीं मिल सकता. प्रबंध समिति के इस निर्णय का अक्षरश: पालन कराया जा रहा है. इस निर्णय के बाद जनप्रतिनिधियों, अफसरों और अधिकारी वर्ग के लोगों की जेब भी ढीली हो रही है. इसी के चलते निर्णय का थोड़ा विरोध भी हो रहा है. 


IAS आशीष सिंह की अगुवाई में लिया गया था निर्णय
रविवार को उज्जैन के पूर्व कलेक्टर आशीष सिंह के माता-पिता महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचे. उन्होंने भी नियम अनुसार 500 रुपये की रसीद कटवाई. उज्जैन कलेक्टर के रूप में आईएएस अफसर आशीष सिंह की अगुवाई में ही प्रबंध समिति ने यह निर्णय लिया था. उज्जैन में जिस आईएएस अफसर के पास कलेक्टर का चार्ज रहता है, वह महाकालेश्वर मंदिर समिति का पदेन अध्यक्ष भी होता है. 


महाकालेश्वर मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष और उज्जैन के पूर्व कलेक्टर आशीष सिंह ने खुद इस बात को स्वीकारा कि परिवार के सदस्य मंदिर में दर्शन करने के लिए गए थे. उन्हें शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ उठाना था, इसलिए विधिवत रसीद कटवाई गई. इसके पहले उज्जैन के डीएम संतोष कुमार टैगोर के परिजन भी रसीद कटवा कर दर्शन कर चुके हैं. 


अब प्रबंध समिति में ही होगा आगे निर्णय- कलेक्टर 
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि वर्तमान में जो निर्णय प्रभावशील है, वह कार्य महाकालेश्वर मंदिर की प्रबंध समिति ने पूर्व में लिया है. इस निर्णय का भी पालन कराया जा रहा है. अगली बैठक में आगे जो निर्णय होंगे उस पर अमल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नियम सबके लिए बराबर है. सभी लोग नियमों का पालन करते हुए दर्शन कर रहे हैं. यदि शीघ्र दर्शन व्यवस्था का लाभ नहीं उठाना है तो आम श्रद्धालुओं के साथ कतार में लगकर भी आसानी से दर्शन हो सकते हैं. इस दर्शन व्यवस्था का कोई शुल्क नहीं है. 


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