Madhya Pradesh News: जब कालों के काल महाकाल (Lord Mahakal) दूल्हा बनकर निकलते हैं तो उनकी बारात में भूत, देव, दानव सब शामिल होकर झूम उठते हैं. उज्जैन (Ujjain) के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) को लेकर ऐसी अनूठी परंपराओं का निर्वहन किया जाता है जिसे जानकर हर कोई हैरत में पड़ जाता है. यहां पर भगवान महाकाल सेहरा भी सजाते हैं और जब राजाधिराज का सेहरा सजता है तो उस दिन भगवान महाकाल दिन में भस्म रमाते हैं.


द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व अनूठे ढंग से मनाया जाता है. देशभर में माता की नवरात्रि प्रचलित है, लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. शिव नवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं. कभी भगवान महाकाल घटाटोप के रूप में प्रजा के सामने आते हैं तो कभी मन-महेश तो कभी उमा-महेश, भगवान का चंद्रमौलेश्वर और तांडव रूप भी इसी दौरान देखने को मिलता है. 


दूल्हा बनेंगे भगवान महाकाल
महाकालेश्वर मंदिर के राम गुरु बताते हैं कि भगवान महाकाल के दरबार में शिव नवरात्रि मनाई जाती है. 9 दिनों तक भगवान को चंदन, हल्दी, मेहंदी, भांग आदि से दूल्हा बनाया जाता है. 10 फरवरी से भगवान को दूल्हा बनाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जो 18 फरवरी तक चलेगा. महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल को सेहरा सजाए जाएगा. 19 फरवरी को भगवान महाकाल की दोपहर में भस्म आरती होगी. 


शिव बारात विश्व भर में प्रसिद्ध
महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल मंदिर शयन आरती भक्त मंडल द्वारा शिव की बारात निकाली जाती है. भगवान शिव की बारात में देव, दानव सबको आमंत्रित किया जाता है. जब भगवान शिव की बारात निकलती है तो भक्त भूत, प्रेत, पिशाच बनकर झूमते नाचते हुए चलते हैं. यह आज भी शिव भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. महाकालेश्वर मंदिर में जो परंपरा निभाई जाती है वो सभी दूसरे ज्योतिर्लिंगों से अलग है.


मंदिर में बदल जाएगा नजारा
महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि, मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. इस बार महाकाल महालोक के निर्माण के बाद पहली बार महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. आम श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए शीघ्र दर्शन की व्यवस्था महाशिवरात्रि पर बदल दी जाएगी. शीघ्र दर्शन की रसीद नहीं काटी जाएगी. इसके अलावा आम श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक दर्शन हो सके, इसे लेकर अभी से इंतजाम किए जा रहे हैं. मंदिर में धार्मिक परंपराओं का भी निर्वहन होता है, मंदिर की धर्म ध्वजा भी बदली जाती है. इसके अलावा रंगाई पुताई का कार्य चल रहा है.


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