Ujjain News: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में बसंत पंचमी के अवसर पर राजाधिराज भगवान महाकाल के दर्शन से शक्ति और बुद्धि का एक साथ वरदान मिलता है. वर्ष भर में एक बार यहां भगवान को सरसों के फूलों से सजाया जाता है. महाकाल मंदिर में आज के दिन भगवान महाकाल के साथ मां सरस्वती की भी संयुक्त रूप से आराधना होती है. भगवान महाकाल के दरबार में शनिवार की सुबह विशेष रही. यहां बसंत पंचमी के अवसर पर भगवान महाकाल को दूध, दही, शहद, शक्कर, जल के साथ-साथ सरसों के फूलों से भी स्नान कराया गया. 


आज के दिन की जाती है खास पूजा
इसके बाद भगवान महाकाल का सूखे मेवे से श्रृंगार हुआ. भगवान महाकाल को सरसों के फूल और पत्तियों से सजाया गया. इसके बाद अद्भुत भव्य भस्म आरती हुई. भगवान महाकाल के दरबार में बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. महाकाल मंदिर के पंडित आशीष पुजारी बताते हैं कि बसंत पंचमी के पर्व की शुरुआत भी राजाधिराज के आंगन से होती है. सबसे पहले भगवान को सरसों के फूल चढते हैं. 


आज के दिन दर्शन का विशेष महत्व
वर्ष भर में एक बार ही महाकाल मंदिर समिति द्वारा सरसों के फूल चढ़ाए जाने की व्यवस्था की जाती है. ऐसा दृश्य वर्ष भर में एक बार ही दिखाई देता है. पंडित आशीष पुजारी बताते हैं कि आज के दिन दर्शन का भी विशेष महत्व है. बसंत पंचमी पर प्रकृति हरी भरी रहती है और भगवान महाकाल भी आनंदित होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. इस अद्भुत पल का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है.


संध्या आरती में उड़ेगा गुलाल
पंडित विकास गुरु के मुताबिक भगवान महाकाल को सुबह सरसों के फूल चढ़ाए जाते हैं और शाम को संध्या आरती में गुलाल चढ़ाया जाता है. आज से महाकाल मंदिर होली पर्व की भी शुरुआत हो जाती है. भगवान महाकाल के आंगन में गुलाल अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी आते हैं. यहां पर कोविड प्रोटोकाल का पालन कराया जा रहा है. भगवान महाकाल को भक्त सरसों के फूल अर्पित करने के लिए गर्भ गृह में प्रवेश करते थे. 


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