Ujjain News: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के मास्टर प्लान को लेकर शिवराज सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) पर कांग्रेस (Congress) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि मंत्री और उनके परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान को गलत तरीके से पास किया गया है. वहीं मंत्री मोहन यादव का कहना है कि भू माफियाओं से मिलकर कांग्रेस नेता अवैध कॉलोनी काटना चाहते हैं.


उज्जैन में कब होता है सिंहस्थ का आयोजन
उज्जैन में 12 साल में एक बार सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होता है. इस मेले के लिए उज्जैन में जमीनों का हर बार अधिग्रहण किया जाता है. सिंहस्थ 2004 का लगभग 1600 हैक्टर जमीन पर मेले का आयोजन किया गया था. वहीं 2016 में 3000 हेक्टेयर जमीन पर मेला लगा था सिंहस्थ. अब 2028 में होने वाले सिंहस्थ के चार से पांच हजार हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होने की संभावनाएं जताई जा रही है. इसी बीच उज्जैन में नया मास्टर प्लान लागू हो चुका है. नए मास्टर प्लान की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही शिवराज सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव पर कांग्रेस आरोप लगा रही है. 


कांग्रेस नेता रवि राय के मुताबिक मंत्री मोहन यादव और बीजेपी के कई नेताओं के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर अंकित 185 हेक्टेयर भूमि को कृषि से बदलकर आवासीय कर दिया गया है.इससे मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों व अन्य को 500 करोड़ से ज्यादा का फायदा पहुंचा है. 


एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री का आरोप


मंत्री मोहन यादव के मुताबिक कांग्रेस के राज में सिंहस्थ की भूमि पर कांग्रेस नेताओं ने अवैध कालोनियां विकसित कर दीं. उन पर लगे आरोप सरासर गलत हैं. विधानसभा चुनाव के करीब आते ही कांग्रेस झूठे आरोप लगाने लग जाती है. मास्टर प्लान में सिंहस्थ की 1 इंच जमीन भी आवासीय नहीं हुई है. सिंहस्थ मेला जहां पर लगता है, वहां की भूमि आरक्षित है. मास्टर प्लान को सरकार ने उज्जैन के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया है. कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि अधिक से अधिक उज्जैन में अधिक से अधिक अवैध कॉलोनी काटी जा सके, इसके लिए सरकार भूमि को आवासीय ना करे. उनकी मंशा उज्जैन के विकास नहीं बल्कि खुद के विकास की है.


सिंहस्थ मेला किसकी सरकार में लगेगा बीजेपी या कांग्रेस ?


मध्य प्रदेश की राजनीति के इतिहास में लंबे समय से यह देखने में आया है कि सिंहस्थ का मेला बीजेपी की सरकार में संपन्न होता है. जब भी विधानसभा चुनाव आते हैं तब सिंहस्थ के बेले बीजेपी की सरकार बन जाती है. इस बार कांग्रेस दावा कर रही है कि सिंहस्थ का मेला उनके द्वारा संपन्न कराया जाएगा, जबकि बीजेपी का कहना है कि इतिहास के पन्ने को और आगे बढ़ाया जाएगा. बीजेपी नगर अध्यक्ष विवेक जोशी के मुताबिक कांग्रेस हमेशा से सिंहस्थ मेले के दौरान विपक्ष में रही है. 


मास्टर प्लान को लेकर क्यों पनपा है विवाद


सिंहस्थ 2016 में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में इनर रिंग रोड बनाया गया थाय. इसे सिंहस्थ बाईपास का नाम दिया गया. यह रास्ता शहर को सिंहस्थ बाईपास के जरिए मेला क्षेत्र से जोड़ता है. इस मार्ग के आसपास की भूमि को सिंहस्थ के दौरान अस्थायी रूप से पार्किंग के लिए उपयोग किया गया था. तत्कालीन कलेक्टर कवींद्र कियावत ने उस समय सरकार को एक पत्र लिखा था और कहा था कि इस मार्ग की कुछ भूमि को सिंहस्थ की पार्किंग के लिए रखा जाना चाहिए. इसी पत्र को आधार बनाकर कांग्रेसी कृषि भूमि को सिंहस्थ के लिए आरक्षित कराने की मांग कर रही है. वहीं बीजेपी का कहना है कि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में आने वाली इस भूमि को सिंहस्थ के लिए आरक्षित नहीं करना चाहिए. दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कभी सिंहस्थ का मेला लगा ही नहीं. 


क्यों सिंहस्थ के लिए भूमि नहीं देना चाहते हैं किसान?


यदि किसी भूमि को सिंगर के लिए आरक्षित कर दिया जाता है तो फिर उस भूमि पर कभी भी पक्का निर्माण नहीं होता है. इसके अलावा सिंहस्थ की भूमि के दाम भी दूसरी जमीनों की अपेक्षा काफी कम हो जाते हैं. यहां पर कभी भी आवासीय कॉलोनी नहीं काटी जा सकती है. हालांकि सिंहस्थ मेला चित्र में पिछले दो दशक में 100 से ज्यादा अवैध कालोनिया कट चुकी है. सरकार सिंहस्थ मेले के लिए 12 साल में एक बार 2 महीने के लिए भूमि का अधिग्रहण भी करती है. सरकार को डर है कि सिंहस्थ बाईपास की जमीनों को आरक्षित करने के बाद यहां अवैध कालोनियों का डर बढ़ जाएगा, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होगा.


मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद और बढ़ा विवाद


मई के अंतिम सप्ताह में मास्टर प्लान लागू करते हुए उसका नोटिफिकेशन भी हो गया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों ट्वीट करते हुए लिखा कि यदि आवश्यकता हुई तो मास्टर प्लान में सिंहस्थ मेले के लिए बदलाव संभव है. इसी ट्वीट के बाद कांग्रेस ने हमले तेज कर दिए. कांग्रेस का मानना था कि यदि मास्टर प्लान बदलाव होता है जो कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को बल मिल जाएगा.


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