Ujjain Mayor Seat: मध्य प्रदेश सरकर की महत्वकांशी संबल योजना के जरिए मजदूर वर्ग के लोगों को लाभ दिया जाता है. इस योजना में दलालों का इतना दबदबा बढ़ गया कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में महापौर मुकेश टटवाल को खुद क्लर्क की कुर्सी पर बैठकर मामलों का निराकरण करना पड़ा. उन्होंने खुद माना की सरकारी योजना का लाभ सही तरीके से आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.


मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकर ने संबल योजना के जरिए मजदूर वर्ग की 77 श्रेणी के लोगों को लाभ दिलाने के लिए लागू की है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मजदूर वर्ग के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाना है. इस योजना के अन्तर्गत यदि किसी मजदूर की दुर्घटना के दौरान मौत हो जाती है तो उसके परिवार को चार लाख की आर्थिक मदद मिलती है जबकि सामान्य मौत पर दो लाख की आर्थिक मदद सरकर द्वारा दी जाती है. 


महापौर मुकेश टटवाल का कहना है की इस योजना का लाभ सही तरीके से लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. साल 2023 के मामालों में पीड़ित व्यक्ति को राशि मिल चुकी है जबकि साल 2018 के कई ऐसे मामले लंबित हैं, जिसमें लोग नगर निगम के चक्कर काटकर परेशान हो गए हैं. इस मामले में अधिकारियों को भी सख्त हिदायत दे दी गई है.


कैसे मिलता है संबल योजना का लाभ?
मध्य प्रदेश के निवासी किसी भी मजदूर वर्ग के व्यक्ति को समग्र आईडी और परिचय पत्र के साथ एमपी ऑनलाइन पर पहुंचकर अपना पंजीकरण कराना होता है. पंजीकरण का यह दस्तावेज नगर निगम या नगर पालिका के मध्यम से स्थानीय निकाय तक पहुंचता है. स्थानीय निकाय के अधिकारी और कर्मचारी इसे सत्यपित करते हुए उक्त व्यक्ति का नाम संबल योजना में अंकित कर देते हैं. इसके बाद यदि उक्त व्यक्ति की मौत होती है तो उसके परिवार को दो से चार लाख की राशि मिलती है. इतना ही नहीं स्कॉलरशिप और अन्य योजनाओं का लाभ भी हितग्रही को मिलता है. 


'नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ'
महापौर मुकेश टटवाल ने बताया की इस मामले में उन्होंने नगर निगम आयुक्त रोशन सिंह को खुद मॉनिटरिंग करने निवेदन करते हुए पूरे प्रकरणों पर उनका ध्यान आकर्षित कराया है. उन्होंने कहा है की दलालों के माध्यम से कई लोग पहले लाभ उठाकर ले गए जबकि कई योग्य लोगों को अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है. उनके द्वारा सभी प्रकरणों को दिखवाया जा रहा है.


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