Ujjain News: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का प्रसाद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भक्तों की पहली पसंद है. भगवान महाकाल का आशीर्वाद स्वरुप प्रसाद पाकर भक्त प्रफुल्लित हो उठते हैं. लेकिन इस प्रसाद को लेकर भी धोखाधड़ी शुरू हो गई है. शिव भक्तों के लिए प्रसाद की कीमत ऑनलाइन ज्यादा वसूली जा रही है.
उड़ीसा के श्रद्धालु ने की शिकायत
दरअसल उड़ीसा के एक श्रद्धालु ने महाकालेश्वर मंदिर समिति से यह शिकायत की है कि महाकालेश्वर मंदिर में 260 रुपये किलो मिलने वाला प्रसाद ऑनलाइन में कई गुना महंगी दरों पर बेचा जा रहा है. इसके बाद महाकाल मंदिर समिति की ओर से जांच पड़ताल की गई. सहायक प्रशासक महाकाल मंदिर समिति मूलचंद जूनवाल ने बताया कि इस मामले में श्री टेंपल नामक वेबसाइट के खिलाफ थाना महाकाल में धारा 420 के तहत मामला दर्ज करवाया गया है.
बिना लाभ के विक्रय किया जाता है प्रसाद
महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक प्रसाद श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप काफी कम कीमत पर मुहैया कराया जाता है. प्रसाद को लेकर कभी भी मंदिर समिति ने लाभ के एंगल से नहीं सोचा. महाकालेश्वर मंदिर समिति को ही प्रसाद को अधिकृत रूप से बेचने का अधिकार है. वेबसाइट पर गलत तरीके से विक्रय किए जाने के मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं.
देश के 10 मंदिरों के नाम वेबसाइट पर
महाकाल थाना प्रभारी मुनेंद्र गौतम ने बताया कि मंदिर समिति के कर्मचारी लोकेश वर्मा निवासी कहारवाड़ी की शिकायत पर श्री टेंपल वेबसाइट के संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में साइबर सेल को लेटर लिखकर वेबसाइट के मालिक के बारे में डिटेल्स मांगी जा रही है. जूनवाल के मुताबिक वेबसाइट पर सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर ही नहीं बल्कि देशभर के 10 और मंदिरों के प्रसाद को बेचा जा रहा है. वेबसाइट बनाने वाले ने पता और नाम भी वेबसाइट पर अंकित नहीं किया है.
कर्मचारी के मिलीभगत की आशंका
इस पूरे मामले में महाकालेश्वर मंदिर समिति के कर्मचारी की मिलीभगत की आशंका भी बनी हुई है, इसलिए पुलिस बारीकी से जांच कर रही है. महाकाल मंदिर समिति द्वारा प्रसाद को भेजने के लिए डाकघर का उपयोग किया जाता है. डाकघर के कर्मचारी ही मंदिर से प्रसाद ले जाते हैं. वेबसाइट संचालक के पास कितनी बड़ी मात्रा में प्रसाद कहां से आ रहा था? यह भी जांच का विषय है. वेबसाइट के माध्यम से आधा किलो प्रसाद 492 रुपये में बेचा जा रहा था. अतिरिक्त राशि सर्विस फीस के रूप में ली जा रही थी.
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