MP Panchayat Election: पंचायत चुनाव की आहट ने नेताओं की जेब ढीली कर दी. अब चुनाव टलने के बाद एक बार फिर उम्मीदवार हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए हैं. दूसरी तरफ सरकार को चुनाव की आहट से करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचा है. गौरतलब है कि पंचायत चुनाव उम्मीदवारों को पहले सभी शासकीय विभागों से एनओसी लेना होता है. खासतौर पर जनपद और जिला पंचायत के साथ साथ एमपीईबी तथा स्थानीय पंचायत से भी नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना जरुरी है. इसके लिए संबंधित विभाग में अपनी बकाया राशि भी जमा करना होता है. पंचायत चुनाव की आहट से कई उम्मीदवारों ने नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेने के लिए करोड़ों रुपए खाते में जमा किए.
उज्जैन में तहसील बड़नगर की बात करें तो यहां पर अलग-अलग पदों के दावेदार नेताओं ने लगभग 70 लाख रुपए की राशि विभाग को जमा कराई है. यही आंकड़ा अगर उज्जैन जिले और संभाग स्तर पर देखा जाए तो चार करोड़ पचास लाख से ज्यादा की बकाया राशि सरकार के खाते में गई. हालांकि पंचायत चुनाव अभी टल गए हैं. अगर पंचायत चुनाव मार्च 2022 तक हो जाते हैं तो उनका नो ड्यूज सर्टिफिकेट काम आ जाएगा. मार्च के बाद चुनाव होने पर उम्मीदवारों को सरकारी विभागों से एक बार फिर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करना पड़ेगा.
कोरोना काल की पेनाल्टी वसूली गई
संभाग आयुक्त संदीप यादव ने बताया कि जिला प्रशासन के पास पूरा आंकड़ा तो नहीं है लेकिन नियमानुसार चुनाव लड़ने के लिए नो ड्यूज सर्टिफिकेट की आवश्यकता है. इसके लिए दावेदारों को अपनी बकाया राशि जमा करना जरुरी होता है. पंचायत चुनाव के अंतर्गत पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव होने थे. उज्जैन संभाग की बात करें तो यहां दावेदारों को सबसे ज्यादा एमपीईबी का नो ड्यूज सर्टिफिकेट महंगा पड़ा. दावेदार हाकम सिंह ने बताया कि एमपीईबी की तरफ से कोरोना काल के दौरान दी गई छूट की पेनाल्टी भी दावेदारों से वसूली गई.
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