Garlic Cultivation: लहसुन की खेती करने वाले किसानों की हालत पतली हो गई है. उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उज्जैन के किसान भविष्य में लहसुन की खेती न करने की बात भी कह रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनका लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है. मंडी में लहसुन बेचने आए जगदीश खटीक ने दिन रात मेहनत कर पैदावार बढ़ाने की कोशिश की. उनका कहना है कि उन्हें अहसास नहीं था कि लहसुन उनके लिए घाटे का सौदा साबित होगी.


खेरची विक्रेताओं को मिल रहा लाभ लेकिन किसानों को घाटा


उज्जैन की मंडी में लहसुन 500 से 1100 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रही है. इससे किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है. यही वजह है कि जगदीश आगे लहसुन की फसल बोने से तौबा कर रहे हैं . दूसरी तरफ बाजार में 25 से 50 रुपए किलो तक बिक रही है. किसानों की शिकायत है कि हर बार की तरह इस बार भी व्यापारी और खेरची विक्रेताओं को लाभ मिल रहा है लेकिन फसल उगाने वाला किसान आज भी घाटे में है. माली खेड़ी के रहने वाले किसान हजारीलाल की भी समान परेशानी है.


लहसुन की खेती करनेवाले किसानों ने लगाई मदद की गुहार


हजारीलाल की महज आधा बीघा जमीन पर फसल हुई थी. उन्हें खेती करने में लगभग 30000 रुपए खर्च आया जबकि मंडी में लहसुन बेचने पर 15000 रुपए ही मिला. हजारीलाल भी लहसुन के भाव की मार से परेशान है. किसान अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. आमतौर पर ठंड के दिनों में लहसुन का दाम बढ़ जाता है मगर इस बार अधिक पैदावार और डिमांड कम होने की वजह से लहसुन का भाव काफी कम है. व्यापारी राधेश्याम के मुताबिक बड़ी लहसुन और थोड़ी महंगी बिक रही है, मगर छोटी लहसुन पैदा करने वाले किसानों को वास्तव में नुकसान उठाना पड़ रहा है. 


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