Ujjain News: जून की 21 को उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होता है और इस दिन कुछ समय के लिए परछाई भी अपना साथ छोड़ देती है. यह बात इसलिए भी बिल्कुल सत्य है, क्योंकि उज्जैन की जंतर मंतर वेधशाला में खगोल शास्त्रियों की मौजूदगी में हर साल दर्जनों लोग इस घटना के साक्षी बनते हैं.
21 जून की दोपहर उज्जैन की जंतर मंतर वेधशाला में बड़ी संख्या में खगोल प्रेमी एकत्रित हो गए थे. जंतर मंतर वेधशाला के अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रसाद गुप्त ने बताया कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. उत्तरी गोलार्ध 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन होता है. शुक्रवार को दिन 13 घंटे का जबकि रात 11 घंटे की रहेगी. इसके बाद धीरे-धीरे दिन छोटा होता जाएगा और रात बड़ी होगी. यह खगोलीय घटना हर साल जंतर मंतर पर खगोल प्रेमियों की मौजूदगी में देखी जाती है.
शुक्रवार को दोपहर 12:00 बजे के लगभग परछाई भी अपना साथ छोड़ दिया. इस खगोलीय घटना का मापन करने के लिए खगोल शास्त्रियों की टीम जंतर मंतर मौजूद रही. शुक्रवार को जब दोपहर में लोगों की परछाइयां अचानक गायब हो गई तो उन्हें खगोलीय घटना का एहसास हुआ. हालांकि आसमान पर बादल छाने की वजह से लोगों की परछाई पूरी तरह दिखाई नहीं दे रही थी.
इसलिए बड़ा होता है 21 जून का दिन
जंतर मंतर वेधशाला की अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गुप्त ने बताया कि सूर्य अपने अधिकतम उत्तरी बिंदु कर्क रेखा पर होने की वजह से 21 जून को सबसे बड़ा दिन होता है 21 जून को 13 घंटे 34 मिनट का दिन रहेगा. 21 जून के बाद सूर्य की दिशा दक्षिण की ओर दृष्टिगोचर रहेगी, इसलिए आप दिन छोटा होता जाएगा. अब 23 सितंबर तक यह सिलसिला जारी रहेगा. सूर्य अब दक्षिणायन की ओर आगे बढ़ेगा. 23 सितंबर को दिन और रात बराबर रहेंगे.
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