Ujjain News: धर्म नगरी उज्जैन के सप्त सागरों में शामिल रुद्रसागर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है. मान्यता है कि महाकाल मंदिर के पीछे रुद्रसागर का दर्शन करने मात्र से सात जन्मों की चिंताएं दूर हो जाती हैं. स्मार्ट सिटी के तहत रुद्रसागर का रूप संवारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. शहरी क्षेत्र के बीच 7 विशाल सरोवर हैं जिन्हें सप्त सागरों की संज्ञा दी गई है. इन्हीं में से महाकाल मंदिर के पीछे स्थित है रुद्रसागर.
रुद्र का व्यापक पैमाने पर अर्थ देखा जाए तो "रु" का मतलब होता है चिंता और "द्र" का अर्थ होता है दूर करने वाला. भगवान शिव का एक नाम रुद्र भी है. पंडित अमर डिब्बे वाला स्कंद पुराण के अवंति खंड का हवाला देते हैं. अवंति खंड के मुताबिक भगवान महाकाल का दर्शन से पहले रुद्रसागर में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. स्नान के बाद ही भगवान महाकाल के दर्शन का पूर्ण फल प्राप्त करना काफी पवित्र माना गया है. वर्तमान परिस्थितियों में रुद्रसागर का विकास कार्य चल रहा है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वर्तमान में भी यहां कोई पूजा-पाठ और दान-धर्म करता है तो उसकी समस्त चिंताएं दूर होती हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है.
रुद्रसागर में बोटिंग का विरोध कर रहे पंडे
रामघाट के पंडा राजेश गुरु ने बताया कि सप्त सागर का काफी धार्मिक महत्व है. यहां पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत रुद्रसागर में बोटिंग करने की भी कार्य योजना है, ये बिल्कुल अनुचित है. रुद्रसागर में पूजा अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यहां पर बोटिंग नहीं होना चाहिए. विकास कार्यों को लेकर पंडे-पुजारी सरकार के साथ हैं लेकिन पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी जानना बेहद जरूरी है.
सप्त सागरों की सफाई के लिए श्रमदान
सप्त सागर के विकास और साफ-सफाई को लेकर रामा दल के साधु संत गोवर्धन सागर पर धरने पर बैठे हैं. 27 जनवरी से साधु संतों की तरफ से सप्त सागरों में श्रमदान किया जाएगा. महाकाल मंदिर के पीछे स्थित होने की वजह से रुद्रसागर का कायाकल्प तो हो रहा है लेकिन शेष अन्य सागरों की हालत काफी दयनीय है. इनके विकास को लेकर साधु संतों का धरना भी चल रहा है.
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