Ujjain News Today: वैष्णव संप्रदाय के जरिये हर बर अलग-अलग समय और दिन को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाता रहा है. हालांकि इस बार ऐसा संयोग आया है कि शैव और वैष्णव संप्रदाय के जरिये एक साथ जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है. इसलिए जन्माष्टमी का उत्साह बढ़ गया है.  


उज्जैन के महर्षि सांदीपनी आश्रम के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि हर साल शैव और वैष्णव संप्रदाय के जरिये अलग-अलग दिन भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है. इस बार दोनों ही संप्रदाय एक ही दिन एक ही समय पर जन्माष्टमी उत्सव मना रहे हैं. 


पहले दो दिन होती थी जन्माष्टमी
महर्षि सांदीपनी आश्रम के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि 26 अगस्त की रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस दौरान पवित्र अवसर पर उज्जैन के सभी कृष्ण मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. 


पुजारी रूपम व्यास के मुताबिक, आमतौर पर पूर्व में यह देखा गया है कि अष्टमी रात 12:00 बजे लगते ही उज्जैन में जन्म उत्सव मनाया जाता था. इसके अगले दिन विष्णु संप्रदाय द्वारा जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता रहा है. इस प्रकार जन्माष्टमी दो दिनों तक मनाया जाता रहा है.


अष्टमी पूर्ण कालिक की वजह से बना संयोग 
पंडित रूपम व्यास ने बताया कि हर बार शैव संप्रदाय द्वारा अष्टमी तिथि पर रात 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता रहा है. इस दौरान उज्जैन के गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम में रात 12 बजे जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है. 


उन्होंने बताया कि दूसरी तरफ वैष्णव संप्रदाय द्वारा उदियात तिथि पर जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दौरान उज्जैन के गोवर्धन नाथ मंदिर, श्रीनाथ मंदिर और महाप्रभु जी की बैठक पर यह उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता रहा है. 


पुजारी रूपम व्यास के मुताबिक, इस बार अष्टमी पूर्ण कालिक है. यह 26 अगस्त की सुबह 8:23 बजे से पूरे दिन और अगले दिन तक रहेगी, इसलिए शैव और वैष्णव संप्रदाय दोनों एक साथ एक ही समय पर जन्माष्टमी महोत्सव मना रहे हैं.


ये भी पढ़ें: जन्माष्टमी से पहले CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान, भगवान कृष्ण पर संवाद के लिए केंद्र खोलेगी सरकार