Madhya Pradesh News: धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में विश्व का एकमात्र ऐसा लक्ष्मी का मंदिर है जहां पर माता लक्ष्मी गज पर सवार होकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देती हैं. गज लक्ष्मी मंदिर में बहीखाता लिखने की भी परंपरा है. यहां पर व्यापारी बहीखाता लिखकर दीपावली से नए वर्ष के हिसाब-किताब की शुरुआत करते हैं.
दिवाली पर होती है विशेष परंपरा
उज्जैन शहर के बीचो बीच नई पेठ इलाके में विश्व का एकमात्र गज लक्ष्मी मंदिर है. मंदिर के पुजारी अनिमेष शर्मा ने बताया कि माता लक्ष्मी के दो प्रमुख वाहन माने जाते हैं. माता लक्ष्मी जब गज पर सवार होकर आशीर्वाद देती हैं तो यह आशीर्वाद चिर स्थाई होता है. उन्होंने बताया कि दीपोत्सव पर्व पर यहां विशेष परंपराओं का निर्वहन किया जाता है. माता लक्ष्मी को क्विंटलों दूध से स्नान कराया जाता है. इसके अलावा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को बरकत के रूप में सिक्के वितरित किए जाते हैं. इतना ही नहीं सुहागन महिलाओं को कंकू और चूड़ियां भी भेंट के रूप में दी जाती है.
पहला बहीखाता माता के दरबार से
श्रद्धालु रीना पोरवाल ने बताया कि गज लक्ष्मी माता के दर्शन करने से सुख, शांति, समृद्धि के साथ-साथ धन-धान्य का भी आशीर्वाद मिलता है. मंदिर में जो परंपराएं निभाई जाती है उनके साक्षी सैकड़ों श्रद्धालु बनते हैं. शुक्रवार को यहां विशेष रूप से महिलाओं का तांता लगता है. अपना बहीखाता लेकर मंदिर पहुंचे व्यापारी रमेश चंद गुप्ता ने बताया कि पहला बही खाता माता के दरबार से लिखा जाता है. इसके बाद दीपावली पर्व से नए बही खाते की शुरुआत होती है. व्यापारी के मुताबिक यहां से जब भी नया काम शुरू किया जाता है उसमें हमेशा लाभ होता है. इसी के चलते पिछले दो दशक से माता के दरबार से ही वह खाते की शुरुआत करते हैं.
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