Tribal Day News: आदिवासी दिवस के अवसर पर उज्जैन में आदिवासी समुदाय के लोगों ने रैली निकालकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि सरकार को उनकी तरफ ध्यान देना चाहिए. सरकारी योजनाओं का लाभ तो दूर जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए ही तहसील कार्यालयों में कई चक्कर कटवाए जा रहे हैं.
आदिवासी सरकारी योजनाओं से वंचित
आदिवासी दिवस के अवसर पर उज्जैन के कृषि उपज मंडी में आदिवासी समुदाय के हजारों लोग एकत्रित हुए. इस दौरान उन्होंने रैली भी निकाली. आदिवासी संगठन के प्रदेश महामंत्री नारायण सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में केवल 19 जिले ही आदिवासी बहुल्य घोषित किए गए, जबकि मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में आदिवासी समुदाय की संख्या काफी अधिक है. उन्होंने उज्जैन का उदाहरण देते हुए बताया कि उज्जैन में आदिवासी समुदाय के सदस्यों की संख्या डेढ़ लाख के आसपास से लेकिन यहां भी सरकारी योजना का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है.
रैली में शामिल होने आए रवि मोगिया ने बताया कि आदिवासी समुदाय के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समुदाय के लिए निकाली गई योजनाओं का लाभ भी पूरी तरह उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. रैली के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन ही नहीं बल्कि सरकार का ध्यान भी आकर्षित करवाया जा रहा है.
राजनीति में भी मांगी हिस्सेदारी
आदिवासी दिवस पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने यह भी मांग उठाई कि मध्य प्रदेश के उन जिलों को आदिवासी जिला घोषित किया जाए, जहां पर आदिवासी समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है. उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी जिला घोषित होने से राजनीति में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी. भीमाबाई ने बताया कि राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ने से उनकी आवाज ऊपर तक जाएगी, जिससे सरकारी योजना का लाभ मिलने में उन्हें दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.
आदिवासी जिलों की सूची में इन जिलों का नाम
मध्य प्रदेश के लगभग 19 जिले ऐसे हैं जहां पर आदिवासी बहुल्य संख्या होने की वजह से इन्हें आदिवासी जिला घोषित किया गया है. इनमें झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, धार, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, डिंडोरी, होशंगाबाद, बेतूल, रतलाम, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सीधी और श्योपुर शामिल हैं.