Solar Eclipse 2022: सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद महाकालेश्वर मंदिर का नजारा अचानक बदल गया. जैसे ही सूर्य ग्रहण खत्म हुआ वैसे ही मंदिर के नंदीहाल शिखर और पूरे परिसर को पानी से धोया गया. इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर के पंडे पुजारियों ने भी मंदिर के गर्भ गृह में एक बार फिर जलाभिषेक कर शुरू किया. मंगलवार को सूर्य ग्रहण होने की वजह से देश भर के मंदिरों में कपाट बंद कर दिए गए थे लेकिन कालों के काल भगवान महाकाल के मंदिर के कपाट बंद नहीं किए गए. महाकालेश्वर मंदिर में शाम 4:30 बजे से 6:30 बजे तक पूजा-अर्चना जरूर बंद रही लेकिन आम श्रद्धालुओं को दर्शन से नहीं रोका गया. जैसे ही 6:30 बजे वैसे ही महाकालेश्वर मंदिर में धुलाई का क्रम शुरू हुआ. महाकालेश्वर मंदिर के नंदीहाल, गर्भ गृह और शिखर के साथ-साथ पूरे परिसर को पानी से धोकर शुद्धिकरण किया गया.


सूर्य ग्रहण के कारण शाम 6:30 बजे भगवान का किया गया जलाभिषेक 


महाकालेश्वर मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि आमतौर पर महाकालेश्वर मंदिर में शाम 5:00 बजे तक ही जलाभिषेक होता है लेकिन सूर्य ग्रहण के कारण 6:30 बजे भगवान का जलाभिषेक किया गया. पूरे मंदिर की साफ-सफाई के बाद भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया गया. शाम को होने वाली आरती को सूर्य ग्रहण के बाद की गई. महाकालेश्वर मंदिर में सूर्य ग्रहण के दौरान दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में जरूर थोड़ी कमी देखने को मिली.


स्नान के बाद गर्भगृह में पहुंचे पंडित और पुरोहित 


जैसे ही सूर्य ग्रहण समाप्त हुआ वैसे ही महाकालेश्वर मंदिर के पंडित और पुरोहित स्नान के बाद मंदिर के गर्भ गृह में पहुंचे. पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि मंदिर के कर्मचारियों को भी स्नान के बाद ही परिसर में प्रवेश दिया गया. महाकालेश्वर मंदिर में हर बार सूर्य ग्रहण के बाद इसी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. पंडित प्रदीप गुरु और आशीष पुजारी ने ही भगवान का सूर्य ग्रहण के बाद जल अभिषेक किया जिसके बाद उनका आकर्षक श्रृंगार शुरू हुआ. 


इसे भी पढ़ें:


MP: दमोह में ट्रिपल मर्डर, दलित परिवार के मां-बेटे और पिता की गोली मारकर हत्या, सभी आरोपी फरार