Maharishi Panini Sanskrit Evam Vedic Vishwavidyalaya: उज्जैन में महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि संस्कृत भाषा में भारत की आत्मा बसती है. संस्कृत के ज्ञान को प्रचारित प्रसारित करना विश्व कल्याण की दिशा में एक कदम है. राज्यपाल ने आगे कहा कि संस्कृत विज्ञान की भाषा रही है. आर्यभट्ट, वराहमिहीर, सुश्रुत एवं चरक आदि ने मूल्यवान ग्रंथों की रचना देव भाषा यानी संस्कृत में ही की है. उन्होंने कहा कि संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा में ज्ञान विज्ञान को संरक्षित करने का दायित्व पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का है. राज्यपाल ने बताया कि दुनिया में योग, आयुर्वेद की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.
'गीता को बनाया जा रहा पाठ्यक्रम का हिस्सा'
कार्यक्रम में नई शिक्षा नीति पर भी मंथन हुआ. उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विक्रम की नगरी संस्कृत की शिक्षा के लिए जानी जाती है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति लागू की गई है. गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. भगवान कृष्ण का उपदेश जन-जन तक पहुंचेगा. काशी विश्वनाथ की तरह उज्जैन में भगवान महाकाल का आंगन भी सज रहा है. उज्जैन नगरी भी काशी से पीछे नहीं रहने वाली है.
प्राचीन ग्रथों पर रिसर्च के लिए मुहैया होगा धन
उच्च शिक्षा मंत्री के मुताबिक देव भाषा संस्कृत में कई संभावनाएं छिपी हुई हैं. उन्होंने वादा किया कि प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन और रिसर्च करने के लिए पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय को जरूरी धनराशि उच्च शिक्षा विभाग मुहैया कराएगा. राज्यपाल और कुलाधिपति मंगूभाई पटेल ने नव-व्याकरण, शुक्र यजुर्वेद, संस्कृत साहित्य, भारतीय दर्शन ज्योतिष में 11 पीएचडी धारकों को उपाधियां, 34 छात्रों को मेडल और स्नातकोत्तर छात्रों को उपाधि प्रदान की. कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी ने किया. इस मौके पर शिक्षाविद और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए.
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