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Ujjain News: शिप्रा नदी में फिर मिल गया नालों का पानी, तीन दशक से हो रही है पवित्र नदी को लेकर राजनीति
Shipra River Ujjain: उज्जैन की पवित्र शिप्रा नदी तीन दशक से शुद्धिकरण और अन्य कारणों को लेकर राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है. इस बीच एक बार फिर से शिप्रा नदी में नाले का पानी मिल गया है.
MP News: उज्जैन की शिप्रा नदी को लेकर पिछले तीन दशक से बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीति की रस्साकशी चल रही है. लेकिन आज भी शिप्रा नदी में नालों का पानी धड़ल्ले से मिल रहा है, जिसे देखकर श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है.
उज्जैन की उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है. शिप्रा नदी के तट पर 12 वर्ष में एक बार सिंहस्थ का आयोजन होता है. इसी शिप्रा नदी के शुद्धिकरण को लेकर उज्जैन और देवास जिले में पिछले कई सालों से राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है. रविवार को एक बार फिर शिप्रा नदी में नालों का कई गैलन पानी मिल गया जिसे देखकर श्रद्धालुओं ने नाक सिकुड़ ली.
गुजरात से उज्जैन आए श्रद्धालु यश पटेल ने बताया कि उन्होंने शिप्रा नदी में स्नान के बाद भगवान महाकाल के दर्शन का सोचा था, लेकिन नालों का पानी मिलता देख वे बिना स्नान के ही लौट रहे हैं. इसी प्रकार स्नान करने आए राजाराम पटेल ने बताया कि नालों का पानी मिलने की वजह से घाट के आसपास दुर्गंध भी आ रही है. ऐसी स्थिति में स्नान करना मुमकिन नहीं है.
इंजीनियर और जिम्मेदार पर कार्रवाई के निर्देश- महापौर
महापौर मुकेश टटवाल ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने के बाद वे खुद मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने भी पाया की शिप्रा नदी में नालों का गंदा पानी मिल रहा था. इसके पीछे यह कारण बताया गया कि महाकाल लोक के पास निर्माण कार्य और बारिश के पहले नालों की सफाई के दौरान लापरवाही के चलते बेगम बाग की ओर से आने वाले नाले के पाइप को फोड़ दिया गया था, जिसकी वजह से नाले का पानी शिप्रा नदी के राम घाट पर मिल गया. उन्होंने बताया कि नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह को जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं. जिम्मेदार अधिकारियों को मौके पर खड़े रहकर काम करवाना था.
एक समय था कि शिप्रा का जल होता था शहर में सप्लाई
कुछ दशक पहले तक पवन शिप्रा नदी का जल उज्जैन के कुछ इलाकों में पीने के उपयोग में भी लाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे शिप्रा के आसपास आबादी का क्षेत्र बढ़ गया और दूषित जल की वजह से शिप्रा नदी में स्नान तो ठीक आचमन भी मुश्किल हो गया. शिप्रा नदी में स्नान के लिए देशभर के श्रद्धालु उज्जैन आते हैं लेकिन स्थिति देखकर बैरंग लौट जाते हैं.
कांग्रेस सरकार में हो चुकी है कार्रवाई
साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी उस समय शिप्रा नदी में शनिचरी अमावस्या का स्नान ठीक ढंग से नहीं हो पाया, जिसके चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने उज्जैन संभागायुक्त और उज्जैन कलेक्टर को तुरंत हटा दिया था. शिप्रा शुद्धिकरण और नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना को लेकर पिछले कई दशक से उज्जैन में राजनीति चल रही है. हालांकि शुद्धिकरण को लेकर कई बार अभियान चलाया गया लेकिन नतीजा सिफर रहा.
उज्जैन की उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है. शिप्रा नदी के तट पर 12 वर्ष में एक बार सिंहस्थ का आयोजन होता है. इसी शिप्रा नदी के शुद्धिकरण को लेकर उज्जैन और देवास जिले में पिछले कई सालों से राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है. रविवार को एक बार फिर शिप्रा नदी में नालों का कई गैलन पानी मिल गया जिसे देखकर श्रद्धालुओं ने नाक सिकुड़ ली.
गुजरात से उज्जैन आए श्रद्धालु यश पटेल ने बताया कि उन्होंने शिप्रा नदी में स्नान के बाद भगवान महाकाल के दर्शन का सोचा था, लेकिन नालों का पानी मिलता देख वे बिना स्नान के ही लौट रहे हैं. इसी प्रकार स्नान करने आए राजाराम पटेल ने बताया कि नालों का पानी मिलने की वजह से घाट के आसपास दुर्गंध भी आ रही है. ऐसी स्थिति में स्नान करना मुमकिन नहीं है.
इंजीनियर और जिम्मेदार पर कार्रवाई के निर्देश- महापौर
महापौर मुकेश टटवाल ने बताया कि इस घटना की जानकारी मिलने के बाद वे खुद मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने भी पाया की शिप्रा नदी में नालों का गंदा पानी मिल रहा था. इसके पीछे यह कारण बताया गया कि महाकाल लोक के पास निर्माण कार्य और बारिश के पहले नालों की सफाई के दौरान लापरवाही के चलते बेगम बाग की ओर से आने वाले नाले के पाइप को फोड़ दिया गया था, जिसकी वजह से नाले का पानी शिप्रा नदी के राम घाट पर मिल गया. उन्होंने बताया कि नगर निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह को जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं. जिम्मेदार अधिकारियों को मौके पर खड़े रहकर काम करवाना था.
एक समय था कि शिप्रा का जल होता था शहर में सप्लाई
कुछ दशक पहले तक पवन शिप्रा नदी का जल उज्जैन के कुछ इलाकों में पीने के उपयोग में भी लाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे शिप्रा के आसपास आबादी का क्षेत्र बढ़ गया और दूषित जल की वजह से शिप्रा नदी में स्नान तो ठीक आचमन भी मुश्किल हो गया. शिप्रा नदी में स्नान के लिए देशभर के श्रद्धालु उज्जैन आते हैं लेकिन स्थिति देखकर बैरंग लौट जाते हैं.
कांग्रेस सरकार में हो चुकी है कार्रवाई
साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी उस समय शिप्रा नदी में शनिचरी अमावस्या का स्नान ठीक ढंग से नहीं हो पाया, जिसके चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने उज्जैन संभागायुक्त और उज्जैन कलेक्टर को तुरंत हटा दिया था. शिप्रा शुद्धिकरण और नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना को लेकर पिछले कई दशक से उज्जैन में राजनीति चल रही है. हालांकि शुद्धिकरण को लेकर कई बार अभियान चलाया गया लेकिन नतीजा सिफर रहा.
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