Ujjain News: उज्जैन संभाग में भीषण गर्मी के बीच 'पाताल' में पहुंचा जलस्तर, 10 साल में लगातार बदले हालात
Water harvesting system: तेज गर्मी पड़ने के बाद अब पानी की समस्या तेज हो गई है. उज्जैन संभाग में पिछले 10 सालों में नलकूप खनन में 50 गुना बढ़ोतरी हुई है. पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है.
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Water scarcity in Madhya Pradesh: भले ही जलस्तर में सभी जगह थोड़ा बहुत अंतर आ सकता है लेकिन भीषण गर्मी के बीच जलस्तर लगातार पाताल में जा रहा है. अधिकारी भी बदल रहे हालातों को लेकर चिंतित हैं. पर्यावरण को लेकर भी यह खतरे की घंटी बताई जा रही है. एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में हर साल जलस्तर 3 मीटर नीचे चला जा रहा है.
लगातार नीचे जा रहा है जलस्तर
मार्च में मई और जून जैसी गर्मी ने इस बात पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं कि गर्मी से बचाव को लेकर किए जाने वाले इंतजामों में कितनी बड़ी लापरवाही अपनाई जा रही है. उज्जैन संभाग में पिछले 10 सालों में नलकूप खनन में 50 गुना की बढ़ोतरी हुई है. 10 साल पहले जिन इलाकों में एक नलकूप खनन होता था वर्तमान परिस्थिति में वहां पर 50 से ज्यादा नलकूप खनन हो रहे हैं. ऐसी स्थिति की वजह से जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. भूगर्भिक जल विशेषज्ञ और कार्यपालन यंत्री उदित गर्ग के मुताबिक पिछले 10 सालों में निश्चित रूप से जलस्तर नीचे गया है.
गर्मी के दिनों में और अधिक भूगर्भ जल नीचे चला जाता है जबकि बारिश के दिनों में जल का स्तर ऊपर उठ जाता है. बताया जाता है कि उज्जैन संभाग में जलस्तर लगभग 110 मीटर नीचे पहुंच गया है. 10 वर्ष पहले यही जल 80 मीटर की गहराई पर था. इस प्रकार 10 सालों में 30 मीटर जलस्तर नीचे चला गया है. मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन और तेज गर्मी के पीछे कई वजह में यह भी एक प्रमुख कारण शामिल है.
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वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर सख्ती नहीं
नगर निगम में भवन अनुज्ञा देते समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर भी बाउंड ओवर कराया जाता है, लेकिन वास्तविकता में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर अभी सख्ती नहीं है. इसी वजह से पानी की किल्लत के साथ-साथ मौसम में बदलाव भी पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंता का कारण बन गया है. वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए जलस्तर को संतुलित किया जा सकता है. मगर इसके लिए ठोस नियम और सख्त कार्रवाई की जरूरत है.
इन जिलों में भी पानी की किल्लत बरकरार
वर्तमान समय में उन्नत कृषि के लिए भी सिंचाई के साधनों की बेहद जरूरत होती है. सिंचाई के साधनों में सबसे महत्वपूर्ण साधन नलकूप खनन है. इसी के चलते शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी बड़ी संख्या में नलकूप खनन हुए हैं. उज्जैन ही नहीं देवास, शाजापुर, मंदसौर, रतलाम, नीमच, आगर मालवा सहित आसपास के कई जिलों में जलस्तर नीचे चला गया है. मार्च के महीने से ही पानी की किल्लत महसूस की जाने लगी है. सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण इलाकों में हो रही है.
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