Lok Sabha Elections: एमपी में फिर सियासी जमीन तलाश रहीं उमा भारती, क्या 2024 के लिए प्रदेश अध्यक्ष छोड़ेंगे परंपरागत खजुराहो सीट?
Lok Sabha Election 2024: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एक बार फिर राजनीति में सक्रिय होती दिख रही हैं. ऐसे माना जा रहा है कि 2024 में वह मध्य प्रदेश की अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ना चाहेंगी.
Uma Bharti on Lok Sabha Elections 2024: पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती (Uma Bharti) को इन दिनों में मध्य प्रदेश में अपने लिए सियासी जमीन की तलाश है. उमा भारती भले ही उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ चुकी हों, लेकिन उनका लगाव मध्य प्रदेश से ही है. उमा भारती की परंपरागत लोकसभा सीट खजुराहो (Khajuraho) पर अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा (Vishnu Dutt Sharma) का कब्जा है. हालांकि, अब चर्चाएं होने लगी हैं कि क्या प्रदेश अध्यक्ष उमा भारती के लिए अपनी सीट छोड़ेंगे?
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व में उमा भारती पर ही विश्वास जताया था. उमा भारती भी राष्ट्रीय नेतृत्व के इस भरोसे पर कायम रहीं और उन्होंने प्रदेश की सत्ता में 10 साल से जमी दिग्विजय सिंह सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. हालांकि उमा भारती भी सत्ता का सुख महज साल भर ही भोग सकीं और अदालत के फैसले के चलते उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा, इसके बाद वह दोबारा सीएम पद की कुर्सी पर नहीं बैठ सकी.
शराब अभियान से पकड़ी थी रफ्तार
बीते दो साल तक उमा भारती लगातार मध्य प्रदेश की सियासत में सुर्खियों में बनी रहीं. उमा भारती ने शराब को लेकर अभियान चलाया था. इस अभियान में प्रदेश सरकार को भी परेशानी में डाल रखा था. आलम यह था कि उमा भारती शराब की दुकान को देखकर ही पत्थर मारने लगी थीं. शराब दुकानदारों में भी उमा भारती का खौफ साफ तौर पर देखा जा रहा था.
बीते दिनों तो उन्होंने ओरछा की मधुशाला को ही गौशाला में परिवर्तित कर दिया था. उमा भारती के अभियान का असर यह रहा कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने शराब नीति में चंद बदलाव किए, उसके बाद से ही उमा भारती के तेवर शांत हैं और प्रदेश की सियासी सुर्खियों से भी वे गायब हो गई हैं. उमा भारती के शराब अभियान को लेकर सूबे में चर्चा थी.
इन पदों पर रहीं उमा भारती
उमा भारती राजनीति में कई अहम पदों पर आसीन रहीं हैं. साल 1988 में एमपी बीजेपी की उपाध्यक्ष रहीं, जबकि 1989 में खजुराहो से सांसद, 1990 में कृषि मंत्रालय में परामर्श समिति की सदस्य, 1991 में खजुराहो से फिर सांसद, 1991-93 पीएएसी की सदस्य, 1993 भाजयुमो की अध्यक्ष, 1996 में खजुराहो से फिर सांसद, 1996-97 में विज्ञान और प्रोद्योगिकी, वन एवं पर्यावरण समिति की सदस्य, 1998 में खजुराहो से सांसद, 1998-99 कैबिनेट राज्य मंत्री मानव संसाधन विकास मंत्रालय, 1999 भोपाल से सांसद रहीं.
इसके अलावा 13 अक्टूबर 1999 से 2 फरवरी 2000 कैबिनेट राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार, साल 2000-2002 तक कैबिनेट मंत्री, 2002-2003 कैबिनेट मंत्री कोयला खदान, 2003-2004 तक मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री, 2012 उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक, 2014 नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री जैसे अहम पदों पर रहीं.
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