Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के उमरिया (Umaria) में वन विभाग (Forest Department) के 4 अफसरों को स्थानीय अदालत ने सजा सुनाई है. एक अफसर को तीन साल तो बाकी तीन को छह-छह माह के कारावास की सजा हुई है. उनपर एक ड्राइवर को झूठी गवाही के लिए प्रताड़ित करने का आरोप है. इस मामले में 10 साल बाद मानपुर व्यवहार न्यायालय का बड़ा फैसला आया है. मामला उमरिया जिले का है.


उमरिया जिले के मानपुर व्यवहार न्यायालय के न्यायाधीश सतीश शुक्ला की अदालत ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डायरेक्टर सीके पाटिल, एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर राजेश त्रिपाठी और रेंजर रेगी रांव को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल के पद पर पदस्थ पाटिल को तीन साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. वहीं, एसडीओ डीसी घोरमारे, रेंजर, डिप्टी रेंजर को छह माह की सजा व पांच सौ रुपए जुर्माने का आदेश दिया गया है.


क्या था आरोप
बता दें कि मई 2010 में अज्ञात वाहन की टक्कर से झुरझुरा वाली बाघिन की मौत हुई थी. इस मामले में पार्क घूमने आए तत्कालीन मंत्रीद्वय तुकोजीराव पवार और नागेंद्र सिंह के परिजन भी संदेह के घेरे में थे. आरोप है कि जांच के दौरान वन विभाग के अधिकारी तत्कालीन रेंजर ललित पांडेय के चालक मान सिंह को संदिग्ध मानकर उसे ले आए और पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करने लगे. 


वकील ने क्या बताया
परिवादकर्ता के वकील अशोक वर्मा ने बताया कि दोषी पाए गए चालक मान सिंह पर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ अक्षय कुमार सिंह, सीईओ मानपुर केके पाण्डेय व अन्य गवाही देने के लिए दबाव बना रहे थे. इसी को लेकर पीड़ित की पत्नी नीतू बाई निवासी कशेरू ने मानपुर व्यवहार न्यायालय में 2012 में एक याचिका दायर की थी. शुक्रवार को 10 साल बाद मामले में कोर्ट ने चारों अफसरों को दोषी करार दिया. बता दें कि घटना की जांच सरकार ने एसटीएफ से भी करवाई है, जिनपर संदेह था उनके नार्को टेस्ट तक हो चुके हैं.


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