बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जिससे आने वाले दिनों में भी निजात मिलती नहीं दिख रही है. अब मध्य प्रदेश का ही उदाहरण ले लें. यहां के ग्वालियर शहर में 15 पदों पर भर्ती निकली. ये पद चपरासी, ड्राइवर और वॉचमैन आदि के थे और इन 15 पदों के लिए ग्यारह हजार से ऊपर कैंडिडेट्स परीक्षा देने पहुंचे. यही नहीं ये युवा केवल एमपी के नहीं थे बल्कि आसपास के राज्यों से यहां परीक्षा देने आए थे.


इस समस्या का और कड़वा सच तब सामने आया जब दसवीं पास योग्यता मांगने वाली इस नौकरी के लिए ग्रेजुएट्स, पोस्ट ग्रेजुएट्स, इंजीनयरिंग और एमबीए की डिग्री लिए कैंडिडेट्स परीक्षा देने पहुंचे.


एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी का ये आलम है कि पियून पद के लिए ग्रेजुएट्स अप्लाई कर रहे हैं और ड्राइवर पद के लिए इंजीनियरिंग किए कैंडिडेट्स.


दूसरे राज्यों से भी आए कैंडिडेट्स –


बेरोजगारी की समस्या केवल यहां ही नहीं हर प्रदेश में मुंह उठा रही है. इस परीक्षा को देने कैंडिडेट्स केवल एमपी के कई शहरों से नहीं बल्कि यूपी से भी आए थे. इन लोगों ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस दावे पर भी प्रश्न उठाए जिसमें उन्होंने हाल ही में सरकारी नौकरियों की घोषणा की बात की थी.


क्या कहा था मुख्यमंत्री ने –


इस बारे में कुछ समय पहले एमपी के सीएम शिवराज सिंह ने कहा था कि, ‘हम एक साल में एक लाख नौकरी देंगे. खाली पदों को भरने के लिए हम कोई कसर नहीं छोडेंगे’. हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने ये भी कहा था कि हर युवा को सरकारी नौकरी चाहिए लेकिन सभी को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं है. सरकारी वादे एक तरफ पर ये स्थिति बेरोजगारी के सच को बखूबी उजागर कर रही है.


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