Budget 2023 Reaction: शक्कर, चाय, आटा, खाने वाला तेल...कीमतों का जिक्र कर बजट पर क्या बोलीं गृहणी?
Mixed Reaction on Budget 2023 India: मध्यप्रदेश के इंदौर में आम बजट पर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. ममता ने आम गृहणियों के लिए बजट को निराशावादी करार दिया है.
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Budget 2023 India Reaction: केंद्रीय बजट पर मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कारोबारियों ने बजट की सराहना करते हुए लोकलुभावन बताया है. अर्थशास्त्रियों ने प्रतिक्रिया देते हुए बजट को मिडिल क्लास के हित का बताया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने आज संसद में बजट पेश किया. बीजेपी बजट को आम जनता के हित में बता रही है और कारोबारी राहत देने वाला बताया है. मध्यप्रदेश इंडस्ट्री एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने आम बजट को हर वर्ग की उम्मीद के मुताबिक करार दिया. उन्होंने कहा कि एक जमाना था जब देश के प्रत्येक नागरिक की इनकम महज 25-30 हजार पर कैपिटा थी.
आम बजट पर क्या उद्योग जगत की राय?
आज पौने दो लाख रुपये की आय ने नागरिकों को सक्षम किया है. प्रमोद डफरिया ने देश के हर नागरिक से टैक्स देने की अपील की. उन्होंने एमएसएमई सेक्टर को दिए जाने वाले ऋण में एक फीसद की कटौती पर संतोष जाहिर किया. पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने आम बजट पर निराशा जाहिर की है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री का बजट भाषण खत्म होने के बाद शेयर बाजार में गिरावट आई. बजट दिल को तसल्ली देने के लिए ठीक है. लेकिन ऐसा नहीं है जिससे आम जनता की जेब में तुरंत पैसा जाए. उन्होंने कहा कि वेतनभोगी लोगों की बचत जरूर बढ़ेगी.
महिलाओं की उम्मीदों को लगा झटका
अब 5 लाख से 7 लाख रुपये अर्जित करने पर नई टैक्स स्लैब का लाभ उठा सकेंगे. घरेलू महिलाओं ने भी बजट पर प्रतिक्रिया दी है. ममता ने आम गृहणियों के लिए बजट को निराशावादी करार दिया है. उनका कहना है कि रोजमर्रा के इस्तेमाल में आनेवाला शक्कर, चाय, आटा, खाद्य तेल, पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी नहीं की गई. देश की महिलाओं को महिला वित्त मंत्री से उम्मीद थी. लेकिन वित्त मंत्री महिलाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाईं. अर्थशास्त्री जयंती लाल भंडारी ने कहा कि बजट में सिक्के के एक तरफ आर्थिक सौगात है और दूसरी तरफ विकास की रणनीति भी है. आगामी वर्ष में विकास दर छह से साढ़े छह फीसदी होगी. राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9 फीसदी पर सीमित होगा.
आम बजट से शैक्षणिक के साथ साथ आर्थिक विकास की रणनीति रखी गई है. मध्यमवर्ग को राहत मिलती दिखाई दे रही है. सात साल बाद मध्यमवर्ग के लिए राहत वाला बजट आया है. कृषकों का हित भी ध्यान में रखा गया है. कृषि को आधुनिक बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देश को मोटे अनाज का केंद्र बनाने का प्रयास किया गया है. चुनौती रहेगी कि राजकोषीय घाटा को कवर करने के लिए आमदनी भी बड़े और कर का अच्छी तरह से इस्तेमाल भी हो.
कारोबारियों ने माना कि नरेंद्र मोदी सरकार का आम बजट लोकलुभावन वादे लिए जरूर है लेकिन इसका असर जनसामान्य के जीवन पर सुखद अहसास देने में असफल रहा है. उधर जानकारों ने भी बताया कि अगले वर्ष होनेवाले आम चुनाव के पहले का अंतिम पूर्ण बजट था. लिहाजा केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट भाषण में बड़ी घोषणा करते हुए टैक्स रिबेट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है. इसी के साथ टैक्स छूट की सीमा 2.50 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है. वित्त मंत्री की घोषणा के बाद मध्यम वर्ग को आंशिक राहत मिली है.
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